Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र सूत्र-४५४
भगवन् ! कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले नारकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े कृष्णलेश्यावाले नारक हैं, उनसे असंख्यातगुणे नीललेश्यावाले हैं और उनसे भी असंख्यातगुणे कापोतलेश्या वाले हैं। सूत्र-४५५
भगवन् ! इन कृष्णलेश्या से लेकर शुक्ललेश्या वाले तिर्यंचयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम तिर्यंच शुक्ललेश्या वाले हैं इत्यादि औधिक जीवों के समान समझना । विशेषता यह कि तिर्यंचों में अलेश्य नहीं कहना । भगवन् ! कृष्णलेश्या से लेकर तेजोलेश्या तक के एकेन्द्रियों में ? गौतम ! सबसे कम तेजोलेश्या वाले एकेन्द्रिय हैं, उनसे अनन्तगुणे कापोतलेश्यावाले हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्यावाले विशेषाधिक हैं । भगवन् ! कृष्णलेश्या से लेकर तेजोलेश्या तक के पृथ्वीकायिकों में समुच्चय एकेन्द्रियों के समान अल्पबहुत्व कहना । विशेषता इतनी कि कापोतलेश्यावाले पृथ्वी-कायिक असंख्यातगुणे हैं । इसी प्रकार कृष्णादिलेश्या वाले अप्कायिकों में अल्पबहुत्व जानना । कृष्ण यावत् कापोतलेश्यावाले तेजस्कायिकों में सबसे कम कापोतलेश्या वाले हैं, उनसे नीललेश्यावाले विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यावाले विशेषाधिक हैं । इसी प्रकार वायुकायिकों को भी जानना । कृष्णलेश्या यावत् तेजोलेश्या वाले वनस्पतिकायिकों में औधिक एकेन्द्रिय के समान अल्पबहत्व समझना । द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतरिन्द्रिय जीवों का अल्पबहत्व तेजस्कायिकों के समान हैं।
भगवन ! इन कृष्णलेश्या यावत शुक्ललेश्या वाले पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! औधिक तिर्यंचों के समान पंचेन्द्रियतिर्यंचों का अल्पबहुत्व कहना । विशेषता यह कि कापोतलेश्या वाले पंचेन्द्रियतिर्यंच असंख्यातगुणे हैं | सम्मूर्छिम-पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों का अल्पबहत्व तेजस्कायिकों के समान समझना । गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचों एवं तिर्यंचस्त्रियों का अल्पबहत्व समुच्चय पंचेन्द्रिय-तिर्यंचों के समान जानना । विशेषता यह है कि कापोतलेश्या वाले संख्यातगुणे कहना।
भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वालों से लेकर शुक्ललेश्यायुक्त सम्मूर्छिमपंचेन्द्रिय-तिर्यंचयोनिकों और गर्भजपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम शुक्ल-लेश्या वाले गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक हैं, उनसे पद्मलेश्यावाले संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्याविशिष्ट संख्यात-गुणे हैं, उनसे नीललेश्याविशिष्ट विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यायुक्त विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यावाले सम्मूर्छिमपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्ण-लेश्यावाले सम्मूर्छिम-पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक विशेषाधिक हैं । कृष्णलेश्या वाली से लेकर शुक्ललेश्या वाले सम्मूर्छिम पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों और तिर्यंचयोनिक स्त्रियों में पूर्ववत् अल्पबहुत्व जानना । भगवन् ! इन कृष्ण-लेश्यावालों से लेकर शुक्ललेश्यावाले गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों और तिर्यंचस्त्रियों में ? गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्यी गर्भजपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक हैं. उनसे संख्यातगणी शक्ललेश्यी गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचस्त्रियाँ हैं, उनसे पद्मलेश्यी गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक संख्यातगुणे हैं, उनसे पद्मलेश्यी गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे तेजोलेश्यी० संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी तिर्यंचस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंच संख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्ण-लेश्यी विशेषाधिक हैं।
भगवन् ! कृष्ण लेश्यावाले से लेकर शुक्ललेश्या वाले इन सम्मूर्छिमपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों, गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों तथा तिर्यंचयोनिकस्त्रियों में ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी गर्भज तिर्यंचयोनिक हैं, उनसे शुक्ललेश्यी तिर्यंचस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे पद्मलेश्यी गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक संख्यातगुणे हैं, उनसे पद्मलेश्यी तिर्यंचस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे तेजोलेश्यी गर्भज पंचेन्द्रियतिर्यंच संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्यी तिर्यंचस्त्रियाँ संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्यी तिर्यंचयोनिक संख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यी संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्यी विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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