Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र
पद-९-योनि सूत्र - ३५६
भगवन ! योनि कितने प्रकार की हैं? तीन प्रकार की। शीत योनि, उष्ण योनि और शीतोष्ण योनि । सूत्र-३५७
भगवन ! नैरयिकों की कौन सी योनि है ? गौतम ! शीतयोनि और उष्ण योनि होती है, शीतोष्ण नहीं होती। असुरकुमार देवों की केवल शीतोष्ण योनि होती है । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक समझना ।
भगवन् ! पृथ्वीकायिकों की कौन सी योनि है ? गौतम ! शीत, उष्ण और शीतोष्ण योनि होती है । इसी तरह अप्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों को जानना । तेजस्का-यिक जीवों की केवल उष्ण योनि होती है।
भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों की कौन सी योनि होती है ? गौतम ! शीत, उष्ण और शीतोष्ण भी होती है । सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों को इसी तरह जानना । गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों की केवल शीतोष्ण योनि होती है । मनुष्यों की शीत, उष्ण और शीतोष्ण योनि भी होती है । सम्मूर्छिम मनुष्यों को इसी तरह जानना । गर्भज मनुष्यों की केवल शीतोष्ण योनि होती है ।
भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों की योनि क्या शीत है, उष्ण है अथवा शीतोष्ण है ? गौतम ! उनकी शीतोष्ण योनि होती है । इसी प्रकार ज्योतिष्कों और वैमानिक देवों को समझना । भगवन् ! इन शीतयोनिक जीवों, उष्ण-योनिक जीवों, शीतोष्णयोनिक जीवों तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प है, बहल है, तुल्य है, अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव शीतोष्णयोनिक हैं, उष्णयोनिक जीव उनसे असंख्यातगुणे, उनसे अयोनिक जीव अनन्तगुणे और उनसे शीतयोनि जीव अनन्तगणे हैं। सूत्र - ३५८
भगवन ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की। सचित्त योनि, अचित्त योनि और मिश्र योनि । भगवन ! नैरयिकों की योनि क्या सचित्त है, अचित्त है अथवा मिश्र है ? गौतम ! नारकों की योनि केवल अचित्त होती है । इसी तरह असुरकुमार से स्तनितकुमार तक जानना । पृथ्वीकायिक जीवों की योनि सचित्त, अचित्त और मिश्र होती है । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक समझना । सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों एवं सम्मूर्छिम मनुष्यों में भी इसी प्रकार जानना । गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों तथा गर्भज मनुष्यों की योनि मिश्र होती है । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवों की योनि अचित्त है।
भगवन् ! इन सचित्तयोनिक जीवों, अचित्तयोनिक जीवों, मिश्रयोनिक जीवों तथा अयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुल, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! मिश्रयोनिक जीव सबसे थोड़े होते हैं, (उनसे) अचित्तयोनिक जीव असंख्यातगुणे, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे, उनसे सचित्तयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं। सूत्र-३५९
भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की । संवृत योनि, विवृत योनि और संवृतविवृतयोनि | भगवन् ! नैरयिकों की योनि क्या संवृत होती है, विवृत होती है अथवा संवृत-विवृत है ? गौतम ! नैरयिकों की योनि केवल संवृत होती है । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक जीवों तक कहना । द्वीन्द्रिय जीवों की योनि विवृत होती है । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों तक जानना । सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक एवं सम्मूर्छिम मनुष्यों में ऐसा ही है । गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और गर्भज मनुष्यों की योनि संवृत-विवृत होती है । वाण-व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों की योनि संवृत होती है।
भगवन् ! इन संवृतयोनिक, विवृतयोनिक, संवृत-विवृतयोनिक तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प, बहुल, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे कम संवृत-विवृतयोनिक जीव हैं, (उनसे) विवृत-योनिक जीव असंख्यातगुणे, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे, उनसे संवृतयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं। मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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