Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र ७४. अभवसिद्धिक (अभव्य) अनन्तगुणे हैं, ७५. सम्यक्त्व से भ्रष्ट अनन्तगुणे हैं, ७६. सिद्ध अनन्तगुणे हैं, ७७. बादर वनस्पतिकायिक-पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, ७८. बादरपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ७९. बादर वनस्पति-कायिकअपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८०. बादर-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८१. बादर विशेषाधिक हैं, ८२. सूक्ष्म वनस्पतिकायिक-अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, ८३. सूक्ष्म-अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८४. सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, ८५. सूक्ष्म-पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, ८६. सूक्ष्म विशेषाधिक हैं, ८७. भवसिद्धिक विशेषाधिक हैं, ८८. निगोद के जीव विशेषाधिक हैं, ८९. वनस्पति जीव विशेषाधिक हैं, ९०. एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, ९१. तिर्यंचयोनिक विशेषाधिक हैं, ९२. मिथ्यादृष्टि-जीव विशेषाधिक हैं, ९३. अविरत जीव विशेषाधिक हैं, ९४. सकषायी जीव विशेषाधिक हैं, ९५. छद्मस्थ जीव विशेषाधिक हैं, ९६. सयोगी जीव विशेषाधिक हैं, ९७. संसारस्थ जीव विशेषाधिक हैं, ९८. उनसे सर्वजीव विशेषाधिक हैं।
पद-३-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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