Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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또
4 how (for three reasons) living beings (jivas) acquire the bondage of fi karmas determining a short life-span.
2. [Q.] Bhante ! How do living beings (jivas) acquire the bondage of si karmas determining a long life-span ?
(Ans.] Gautam ! They do so for three reasons—(1) by not harming or killing living beings, (2) by avoiding false speech and (3) by giving permitted and suitable food of four kinds, namely staple food, liquids, general food, and savoury food (ashan, paan, khadya, svadya), to ascetics conforming to the description in Agams (tatharupa Shramans and Mahans). That is how (for three reasons) living beings (jivas) acquire the bondage of karmas determining a long life-span.
३. [प्र. ] कहं णं भंते ! जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? 卐 [उ. ] गोयमा ! पाणे अइवाइत्ता, मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निंदित्ता
खिंसित्ता गरहित्ता अवमनित्ता, अनतरेणं अमणुण्णेणं अपीतिकारएणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता, एवं खलु जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति।।
४. [प्र. ] कहं णं भंते ! जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?
[उ. ] गोयमा ! नो पाणे अइवातित्ता, नो मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता अन्नयरेणं मणुण्णेणं पीइकारएणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभत्ता, एवं खलु मजीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति। म ३. [प्र. ] भगवन् ! जीव अशुभ दीर्घायु के कारणभूत कर्म किन कारणों से बाँधते हैं ? [ [उ.] गौतम ! प्राणियों की हिंसा करके, असत्य बोलकर एवं तथारूप श्रमण और माहन की 卐 हीलना, खिंसना-(लोगों के समक्ष झिड़कना, बदनाम करना), गर्दा (जनता के समक्ष निन्दा) एवं + अपमान करके अमनोज्ञ और अप्रीतिकर अशन, पान, खादिम और स्वादिम (रूप चतुर्विध आहार) दे करके। इस प्रकार (इन तीन कारणों से) जीव अशुभ दीर्घायु के कारणभूत कर्म बाँधते हैं।
४. [प्र. ] भगवन् ! जीव शुभ दीर्घायु का फल देने वाले कर्म किन कारणों से बाँधते हैं?
[उ. ] गौतम ! प्राणिहिंसा न करने से, असत्य न बोलने से और तथारूप श्रमण या माहन को वन्दना-नमस्कार यावत् पर्युपासना करके मनोज्ञ एवं प्रीतिकारक अशन, पान, खादिम और स्वादिम देने (प्रतिलाभित करने) से। इस प्रकार जीव (इन तीन कारणों से) शुभ दीर्घायु फल देने वाले कर्म बाँधते हैं।
3. (Q.) Bhante ! How do living beings (jivas) acquire the bondage of karmas determining an ignoble long life-span ?
[Ans.] Gautam ! They do so for three reasons—(1) by harming or killing living beings, (2) by false speech and (3) by treating with contempt
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| भगवती सूत्र (२)
(80)
Bhagavati Sutra (2)
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