Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 117
________________ பூதததததத***************************Y ( ऐसी स्थिति में) भगवन् ! उस भाण्डविक्रेता को उस किराने के माल मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया लगती है ? [ उ. ] गौतम ! उस गृहपति को उस किराने के सामान से आरम्भिकी से लेकर अप्रत्याख्यानिकी तक चार क्रियाएँ लगती हैं। मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित् लगती है और कदाचित् नहीं लगती । खरीददार को तो ये सब क्रियाएँ प्रतनु (हल्की) हो जाती हैं। 6. [Q.] Bhante ! A buyer has purchased some bhaand from a seller. In consideration of the deal, the buyer has also paid some advance (satyankaar) but the delivery has not yet been made (the goods are still lying with the seller). (In this situation) Bhante! Is the seller liable to get involved in arambhiki kriya (sinful activity )... and so on up to ... mithyadarshan-pratyayiki kriya (activity of perverted faith) ? आरम्भिकी यावत् [Ans.] Gautam ! That householder is liable of involvement in four activities from arambhiki kriya (sinful activity) to apratyakhyaniki kriya (activity of non-renunciation). However, as regards mithyadarshanpratyayiki kriya (activity of perverted faith), sometimes he is liable to involvement and sometimes not. And the buyer is liable to involvement in all the said activities only to a very mild degree. ७. [ प्र. ] गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स जाव भंडे से उवणीए सिया, कइयस्स णं भंते! ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जति जाव मिच्छादंसण किरिया कज्जइ ? गाहावतिस्स वा ताओ भंडाओ कि आरंभिया किरिया कज्जति जाव ? [उ. ] गोयमा ! कइयस्स ताओ भंडाओ हेट्ठिल्लाओ चत्तारि किरियाओ कज्जंति, मिच्छादंसणकिरिया भवणाए । गाहावइस्स णं ताओ सव्वाओ पयणुई भवंति । ७. [ प्र. ] भगवन् ! किराना बेचने वाले गृहस्थ के यहाँ से यावत् खरीददार उस किराने के माल को अपने यहाँ ले आया, ( ऐसी स्थिति में ) भगवन् ! उस खरीददार को उस (खरीदे हुए) किराने के माल से आरम्भिकी से लेकर मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी तक कितनी क्रियाएँ लगती हैं ? और उस विक्रेता गृहस्थ को इनमें से कितनी क्रियाएँ लगती हैं ? [उ.] गौतम ! खरीददार को उस किराने के सामान से आरम्भिकी से लेकर अप्रत्याख्यानिकी तक चारों क्रियाएँ लगती हैं; मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया की भजना है; ( अर्थात् - खरीददार यदि मिथ्यादृष्टि हो तो मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया लगती है, अगर वह मिथ्यादृष्टि न हो तो नहीं लगती) । विक्रेता गृहस्थ को तो ( मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया की भजना के साथ) ये सब क्रियाएँ प्रतनु (अल्प ) होती हैं। 7. [Q.] Bhante ! A buyer has purchased some bhaand from a seller... and so on up to... and has brought home the goods. (In this situation) Bhante! For these goods is the buyer liable to get involved in arambhiki पंचम शतक : छठा उद्देशक Jain Education International (83) For Private & Personal Use Only Fifth Shatak: Sixth Lesson 55555 www.jainelibrary.org

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