Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 502
________________ 55555555555555555555555555555555555555555555555 4 drawn four-bell chariot. Surrounded by his four pronged army comprising of cavalry, elephant brigade, chariot brigade and infantry and accompanied by a large group of great warriors, he arrived at the battle ground to join Rath-musal battle. [६] तए णं से वरुणे णागनत्तुए रहमुसलं संगामं ओयाए समाणे अयमेयाव अभिग्गहं अभिगिण्हइ-कप्पति मे रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स जे पुब्बिं पहणति से पडिहणित्तए अवसेसे नो कप्पतीति। अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ता रहमुसलं संगाम संगामेति। [७] तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए सरिसत्तए सरिसब्बए सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हब्बमागए। [८] तए णं से पुरिसे वरणं णागणत्तुयं एवं वयासी-पहण भो ! वरुणा ! णागणत्तुया ! पहण भो ! वरुणा ! णागणत्तुया ! तए णं से वरुणे णागणत्तुए तं पुरिसं एवं वदासि-नो खलु मे कप्पति देवाणुप्पिया ! पुत्विं अहयस्स पहणित्तए, तुमं चेव पुव्वं पहणाहि। [६] उस समय रथमूसल संग्राम में प्रवृत्त होने के साथ ही वरुण नागनप्तृक ने इस प्रकार का + अभिग्रह (नियम) किया-मेरे लिए यही कल्प (उचित नियम) है कि रथमूसल संग्राम में युद्ध करते हुए जो मुझ पर पहले प्रहार करेगा, उसे ही मुझे मारना है, (अन्य) व्यक्तियों को नहीं। इस प्रकार यह म अभिग्रह करके वह रथमूसल संग्राम में प्रवृत्त हो गया। [७] उसी समय रथमूसल संग्राम में जूझते हुए वरुण नागनप्तृक के रथ के सामने प्रतिरथी के रूप में एक पुरुष आया, जो उसी के सदृश, उसी के समान त्वचा वाला था, उसी के समान उम्र का और उसी के समान अस्त्र-शस्त्रादि उपकरणों से युक्त था। 5 [८] तब उस पुरुष ने वरुण नागनप्तृक को इस प्रकार ललकारते हुए कहा- "हे वरुण नागनत्तुआ ! मुझ पर प्रहार कर, अरे, वरुण नागनत्तुआ ! मुझ पर वार कर !" इस पर वरुण ॐ नागनत्तुआ ने उस पुरुष से कहा-“हे देवानुप्रिय ! जो मुझ पर प्रहार न करे, उस पर पहले प्रहार करने का मेरा नियम नहीं है। इसलिए तुम (चाहो तो) पहले मुझ पर प्रहार करो।" [6] At that time, before joining the Rath-musal battle, Varun Naag- naptrik took a vow that during the Rath-musal battle he would only kill # the person who first hits him and none else. After taking this resolve he joined the Rath-musal battle. [7] While fighting in the Rath-musal battle another charioteer, who was his look-alike with similar skin and similarly equipped, confronted Varun Naag-naptrik. 41 [8] That warrior challenged Varun Naag-naptrik with these words "O Varun Naag-naptrik ! Hit me ! O Varun Naag-naptrik ! Hit me !" भगवती सूत्र (२) (446) Bhagavati Sutra (2)| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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