Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 568
________________ a555555555555555555555 $ 555555 5 555555 5 555 5555555555 (Ans.] Gautam ! It could be transformed due to conscious activity of either gross physical body of fully developed five-sensed human being i born out of womb (paryaptak garbhaj manushya panchendriya audarik 41 sharira kaaya-prayoga parinat) or gross physical body of underdeveloped five-sensed human being born out of womb (aparyaptak garbhaj 5 manushya panchendriya audarik sharira kaaya-prayoga parinat). ६५. [प्र. ] जइ ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिदियओरालियमीसासरीरॐ कायप्पओगपरिणए ? बेइंदिय जाव परिणए जाव पंचेदियओरालिय जाव परिणए ? [उ.] गोयमा ! एगिंदियओरालिय एवं जहा ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणएण वि आलावगो भाणियव्यो। नवरं बायरवाउक्काइय- ॥ गब्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणिय-गम्भवक्कंतियमणुस्साण य एएसि णं पज्जत्तापज्जत्तगाणं, सेसाणं ऊ अपज्जत्तगाणं।। ६५. [प्र. ] यदि एक द्रव्य, औदारिकपिशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, तो क्या वह म एकेन्द्रिय-औदारिकमिश्र-शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, द्वीन्द्रिय-औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिक-मिश्रशरीर-कायप्रयोग-परिणत , ॐ होता है? उ.] गौतम ! वह एकेन्द्रिय-औदारिकमिश्रशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा , ॐ द्वीन्द्रिय-औदारिकमिश्रशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिकमिश्र शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है। जिस प्रकार पहले औदारिकशरीर-कायप्रयोगपरिणत के आलापक कहे हैं, उसी प्रकार औदारिकमिश्र-कायप्रयोग-परिणत के भी आलापक कहने चाहिए। किन्तु इतनी है विशेषता है कि बादरवायुकायिक, गर्भज पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक और गर्भज मनुष्यों के पर्याप्तक और अपर्याप्तक के विषय में और शेष सभी जीवों के अपर्याप्तक के विषय में कहना चाहिए। 65. (Q.) Bhante ! If a substance is transformed due to conscious activity of gross-cum-mixed physical body (audarik-mishra sharira kaaya-prayoga parinat), then is it transformed due to conscious activity of gross-cum-mixed physical body of one-sensed being (ekendriya 4 audarik-mishra sharira kaaya-prayoga parinat) or gross-cum-mixed physical body of two-sensed being (dvindriya audarik-mishra sharira kaaya-prayoga parinat) or... and so on up to... gross-cum-mixed physical body of five-sensed being (panchendriya audarik-mishra sharira kaayaprayoga parinat)? [Ans.] Gautam ! It could be transformed either due to conscious activity of gross-cum-mixed physical body of one-sensed being (ekendriya audarik-mishra sharira kaaya-prayoga parinat) or gross-cum-mixed $ a555555555555555555 555555555 5555 55555555555555$ $$$ भगवती सूत्र (२) (510) Bhagavati Sutra (2) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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