Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 485
________________ __ [Q.] Bhante ! Is he capable of transforming rough particles into smooth particles ? _[Ans. Yes, Gautam ! He is capable. (Gautam-) Does he perform the said self-mutation by acquiring matter particles from here (the world of humans or adjoining areas) ? ... and so on up to ... Or does he perform the said self-mutation by acquiring matter particles from elsewhere (some area other then the said two areas) ? and the answer should be repeated as in aforesaid aphorism 3. विवेचन : 'इहगए' आदि का तात्पर्य-जिस स्थान पर रहकर अनगार वैक्रिय करता है, वहाँ के पुद्गल 'इहगत' कहलाते हैं। वैक्रिय शरीर करके जिस स्थान पर जाता है, वहाँ के पुद्गल 'तत्रगत' कहलाते हैं; और इन दोनों स्थानों से भिन्न स्थान के पुद्गल ‘अन्यत्रगत' हैं। देव तो 'तत्रगत' (देवलोकगत) पुद्गलों को ग्रहण करके विक्रिया कर सकता है, लेकिन अनगार तो मध्यलोकगत होने के कारण 'इहगत' (मनुष्यलोकगत) पुद्गलों को ही ग्रहण करके विक्रिया कर सकता है। (वृत्ति, पत्रांक ३१५) Elaboration The matter particles of the place where the ascetic performs self-mutation are called 'ihagat. The matter particles of the place where he goes after transmutation are called 'tatragat. A place other than these two is called 'anyatragat'. Gods can perform selfmutation by acquiring particles from there (divine realm) but ascetics can only do that only by acquiring particles from here (the land of humans) because they dwell in the middle world. (Vritti, leaf 315) Halla Tallahucar HUTA MAHASHILAKANTAK BATTLE ५. [प्र.] णायमेयं अरहता, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया, महासिलाकंटए संगामे महासिलाकंटए संगामे। महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? [उ.] गोयमा ! वज्जी विदेहपुत्ते जइत्था, नव मल्लई नव लेच्छई कासी-कोसलगा-अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था। ५. [प्र. ] अर्हन्त भगवान ने यह जाना है, अर्हन्त भगवान ने यह सुना है-अर्थात्-सुनने की तरह प्रत्यक्ष देखा है, तथा अर्हन्त भगवान को यह विशेष रूप से ज्ञात है कि महाशिलाकण्टक संग्राम महाशिलाकण्टक संग्राम ही है। (अतः) भगवन् ! जब महाशिलाकण्टक संग्राम चल रहा (प्रवर्त्तमान) था, तब उसमें कौन जीता और कौन हारा? [उ. ] गौतम ! वज्जी (वज्जीगण का अथवा वज्री इन्द्र और) विदेहपुत्र कूणिक राजा जीते, नौ मल्लकी और नौ लेच्छकी (लिच्छवी) जो कि काशी और कौशल देश के १८ गण राजा थे, वे पराजित हुए। 5. [Q.] Arhant Bhagavan has known about this, Arhant Bhagavan has heard about this (directly seen like hearing about this) and Arhant सप्तम शतक : नवम उद्देशक (433) Seventh Shatak: Ninth Lesson Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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