Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२५२
आयारो
१०५. से अणासादए अणासादमाणे वुज्झमाणाणं पाणाणं भूयाणं
जीवाणं सत्ताणं, जहा से दीवे असंदीणे, एवं से भवइ सरणं महामुणी।
कसायपरिच्चायधुत-पदं १०६. एवं से उठ्ठिए ठियप्पा, अणिहे अचले चले, अबहिलेस्से
परिव्वए।
१०७. संखाय पेसलं धम्म, दिमिं परिणिव्वडे।
१०८. तम्हा संगं ति पासह । १०६. गंथेहिं गढिया णरा, विसण्णा कामविप्पिया।
११०. तम्हा लूहाओ णो परिवित्तसेज्जा।
१११. जस्सिमे आरंभा सव्वतो सव्वत्ताए सुपरिण्णाया भवंति, जेसिमे
लूसिणो णो परिवित्तसंति, से वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च।
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