Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२८८
आयारो
८१. एवं से अहाकिट्टियमेव धम्मं समहिजाणमाणे संते विरते
सुसमाहितले से ।
८२. तत्थावि तस्स कालपरियाए ।
८३. से तत्थ विअंतिकारए ।
८४. इच्चेतं विमोहातणं हियं, सुहं, खमं, णिस्सेयसं, आणुगामियं ।
-त्ति बेमि ।
छट्टो उद्देसो
८५. जे भिक्खू एगेण वत्थेण परिवसिते पायबिइएण, तस्स णो एवं भवइ - विइयं वत्थं जाइस्सामि ।
८६. से अहेसणिज्जं वत्थं जाएज्जा ।
८७. अहापरिग्गहियं वत्थं धारेज्जा ।
८८. णो धोएज्जा, णो रएज्जा, णो धोय-रत्तं वत्थं धारेज्जा ।
८६. अपलिउंचमाणे गामंतरेसु ।
६०. ओमचेलिए ।
8. एयं खु वत्थधारिस्स सामग्गियं ।
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