Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 331
________________ ३०४ आयारो ८. अणाहारो तुअर्टेज्जा, पुट्ठो तत्थ हियासए । णातिवेलं उवचरे, माणुस्सेहिं वि पुट्ठओ॥ ६. संसप्पगा य जे पाणा, जे य उड्ढमहेचरा । भुजंति मंस-सोणियं, ण छणे ण पमज्जए॥ १०. पाणा देहं विहिंसंति, ठाणाओ ण विउब्भमे। आसवेहिं विवित्तेहिं, तिप्पमाणेहियासए ॥ ११. गंथेहि विवित्तेहिं, आउकालस्स पारए । इंगिणिमरण-पदं पग्गहियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणतो ॥ १२. अयं से अवरे धम्मे, णायपुत्तेण साहिए। आयवज्जं पडीयारं, विजहिज्जा तिहा तिहा ।। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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