Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 335
________________ ३०८ २०. अयं से अचिरं उत्तमे धम्मे, पडिले हित्ता, समासज्ज, २१. अचित्तं तु वोसिरे सव्वसो कार्य, २२. जावज्जीवं संडे २४. सासहि तं पडिबुज्झ पुव्वद्वाणस्स विहरे चिट्ठ २३. भेउरेसु न रज्जेज्जा, कामेसु इच्छा - लोभं ण सेवेज्जा, परीसहा, उवसग्गा य संखाय । देहभेयाए, इति पहियास ॥ ठावए तत्थ अप्पगं । ण मे देहे परीसहा || २५. सव्वट्ठेहि तितिक्खं परमं णच्चा, Jain Education International 2010_03 पग्गहे । माहणे || बहुतरेसु वि । सपेहिया || सुहुमं वण्णं णिमंतेज्जा, दिव्वं मायं ण सद्दहे ॥ माहणे, सव्वं नूमं विधूणिया || अमुच्छिए, आउकालस्स विमोहण्णतरं For Private & Personal Use Only आयारो पारए । हितं ॥ -त्ति बेमि । www.jainelibrary.org

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