Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 380
________________ शब्दकोष ३५३ गंथ (ग्रन्थ) (३५०) परिग्रह गंथ (ग्रंथ) (८।२।२५) बन्धन गच्छंति (गच्छंति) (६।१७) इच्छा करते हैं गाम-धम्म (ग्राम्य-धर्म) (५७८) वासना, मैथुन गुण (गुण) (१९३) इन्द्रिय-विषय गेहि (गृद्धि) (६।३७) आसक्ति चाई (देशी शब्द) (३७) सहिष्णु चिट्ठ (देशी शब्द)(४११८) गाढ़ चिरराई (चिररात्री) (६७६) आजीवन छण (क्षण) (२।२८०) हिंसा जाम (याम) (८।१।१५) अवस्था जुतिमस्स (धुतिमान्) (८३।३४) संयम झंझा (देशी शब्द) (३।६९) व्याकुल गंदि (नंदि) (२।१६२) प्रमोद णाय (नाय) (२१७०) नायक-मोक्ष की ओर ले जाने वाला णिकरण (अकरण) (१।६१) सर्वथा विरत णिक्कमदंसी (निष्कर्मदर्शी) (३।३५) आत्मदर्शी णियाग (नियाग) (११३५) मोक्ष णिरामगन्ध (निरामगन्ध) (२।१०८) शुद्धभोजी णिहाय (निहाय) (८।३।३३) छोड़कर णिहे (निदध्यात्) (२।११६) संग्रह करना णिहे (देशी धातु) (४१५) छलना करना Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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