Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 357
________________ ३३० आयारो ११. स जणेहिं तत्थ पुच्छिसु, एगचरा वि एगदा राओ । कसाइत्था, पेहमाणे समाहिं अपडिण्णे || अव्वाहिए १२. अयमंतरंसि को अयमुत्तमे से १३. जंसिप्पेगे तंसिप्पेगे एत्थ, अहमंसित्ति भिक्खू आहट्टु | धम्मे, तुसिणीए स कसाइए झाति ॥ पवेयंति, सिसिरे अणगारा, हिमवाए Jain Education International 2010_03 समादहमाणा । १४. संघाडिओ पविसिस्सामो, एहा य पिहिया वा सक्खामो, अतिदुक्खं हिमग-संफासा || १६. एस विही अणुक्कंतो, माहणेण अपडणेण वीरेण कासवेण पवार्यते । णिवायमेति ॥ १५. तंसि भगवं अपडणे, अहे वियडे अहियासए दविए । णिक्खम्म एगदा राओ, चाएइ भगवं समियाए || मारुए 1 For Private & Personal Use Only मईया | महेसिणा || - तिबेमि । www.jainelibrary.org

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