Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 368
________________ उपधान-श्रुत ३४१ १६. आत्म-शुद्धि के द्वारा आयत-योग (मन, वचन और शरीर की संयत प्रवृत्ति) को प्राप्त होकर भगवान् उपशांत हो गए। उन्होंने ऋजु भाव से [तप की साधना की] | वे सम्पूर्ण साधना-काल में समित रहे। १७. मतिमान् माहन काश्यपगोत्री महर्षि महावीर ने संकल्प-मुक्त होकर पूर्व प्रतिपादित विधि का आचरण किया। -ऐसा मैं कहता हूं। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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