Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 353
________________ ३२६ २०. मायणे से असण- पाणस्स, णाणुगिद्धे अच्छिपि णो पमज्जिया, गोवि य कंड्यये २१. अप्पं अप्पं तिरियं पेहाए, अप्प पिट्ठओ asesपडिभाणी, पंथपेही चरे २२. सिसिरंसि अद्धपडिवन्ने, तं वोसज्ज पसारितु बाहु परक्कमे, णो अवलंबियाण २३. एस विही अणुक्कंतो, माहणेण अपडणेण वीरेण, कासवेण ३. आगंतारे सुसाणे आयारो सुण्णगारे सुण्णगारे अपडणे | मुणी गायं ॥ बीओ उद्देसो भगवओ सेज्जा-पदं १, चरियासणाई सेज्जाओ, एगतियाओ जाओ बुइयाओ । आइक्ख ताई सयणासणाई, जाई सेवित्था से महावीरो ॥ Jain Education International 2010_03 उहाए । जयमाणे || वत्थमणगारे । कंधसि ॥ २. आवेसण - सभा - पवासु, पणियसालासु एगदा वासो । अदुवा पलियट्ठाणेसु पलालपुंजेसु एगदा वासो || For Private & Personal Use Only मईया | महेसिणा ॥ -त्ति बेमि । आरामागारे, गामे णगरेवि एगदा वासो । वा, रुक्खमूले वि एगदा वासो | www.jainelibrary.org

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