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विमोक्ष
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५. अथवा वे [परस्पर-विरोधी] वादों का प्रतिपादन करते हैं ।
जैसे[अस्तित्ववादी मानते हैं-] लोक वास्तविक है। [नास्तित्ववादी मानते हैं-] लोक वास्तविक नहीं है। [अचलवादी मानते हैं-] आदित्य-मंडल स्थिर है । [चलवादी मानते हैं-] आदित्य-मंडल चल है । [सृष्टिवादी मानते हैं-] लोक सादि है। [असृष्टिवादी मानते हैं-] लोक अनादि है। [सृष्टिवादी मानते हैं-] लोक सान्त है । [असृष्टिवादी मानते हैं-] लोक अनन्त है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं--] सुकृत है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] दुष्कृत है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] कल्याण है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] पाप है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] साधु है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] असाधु है । [कुछ दार्शनिक मानते हैं---] निर्वाण है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] निर्वाण नहीं है । [कुछ दार्शनिक मानते हैं-] नरक है। [कुछ दार्शनिक मानते हैं-.] नरक नहीं है।
६. वे परस्पर-विरोधी वादों को स्वीकार करते हुए अपने-अपने धर्म का निरूपण
करते हैं।
७. तुम जानो, 'ये एकांगी वाद अहेतुक हैं-हेतुशून्य हैं।'
८. उन (हेतुशून्य सिद्धान्त का निरूपण करने वाले दार्शनिकों) का धर्म न
सुआख्यात होता है और न सुनिरूपित ।
+ वैकल्पिक अनुवाद इस प्रकार है
शाश्वतवादी मानते हैं-] लोक कूटस्थ नित्य है। + वैकल्पिक अनुवाद इस प्रकार है
[परिवर्तनवादी मानते हैं-] लोक परिवर्तनशील है। x मुनि एकांगी दृष्टिकोण वाले दार्शनिकों के संस्तव (गाढ़ परिचय) में न रहे। प्रयोजनक्श बह वहां जाए, तब तत्व-चर्चा चलने पर, उन्हें कहे
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