Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 21
________________ आयारो ६६-से तत्थ गढिए चिट्टइ भोयणाए । ६७-तओ से ऐगया विपरिसिहं संभूयं महोवगरणं भवइ । ६८-तं पि से एगया दायाया विभयंति, अदत्तहारो वा से अवहरति, रायाणो वा से विलुपंति, णस्सति वा से, विणस्सति वा से, अगार-दाहेण वा से डझइ। ६९-इति से परस्स अट्ठाए कूराई कम्माइं बाले पकुव्वमाणे, तेण दुक्खेण मूढे विप्परियासुवेइ । ७०-मुगिणा हु एवं पवेइयं । ७१-अणोहंतरा एते, नो य ओहं तरित्तए । अतीरंगमा एते, नो य तीरं गमित्तए । अपारंगमा एते, नो य पारं गमित्तए । ७२-आयाणिज्जं च आयाय, तम्सि ठाणे ण चिट्ठइ । वितह पप्प'ऽखेयन्ने, तम्मि ठाणम्मि चिट्ठइ ।। ७३--उद्देसो पासगस्स णत्थि।। ७४-बाले पुण णिहे काम-समणुन्ने असमिय-दुक्खे दुक्खी दुक्खाणमेव आवर्ल्ड अणुपरियट्टइ। --त्ति बेमि। १-विविह परिसिळं ( क, ख, ग, घ, च)। २-अदत्ताहारा (ख, ग)। ३-अवहर ति (ख, ग)। ४--समूढे (क, घ)। ५-विप्परियासमवेति (ख, ग, घ, च, छ)।

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