Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
View full book text
________________
पिंडेसणा ( पढमो उद्देसो) ६-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा 'गाहावइ-कुलं पिंडवाय
पडियाए अणुपविढे समाणे सेज्जं पुण जाणेजापिहुयं वा, बहुरजं वा, भुजिय' वा, मंथु वा, चाउलं वा, चाउल-पलवं वा सई भजियं--अफासुयं अणेसणिज्ज ति मन्नमाणे लाभे सते णो पडिगाहेजा। ७-से भिक्खू बा भिक्खुणी वा 'गाहावइ-कुलं पिडवाय-पडियाए
अणुपविट्टे समाणे, सेज्जं पुण जाणेजापिहुयं वा, 'बहुरजं वा, भुजियं वा, मंथु वा, चाउलं वा, चाउल-पलंब वा असई भज्जियं, दुक्खुत्तो वा भज्जियं, तिक्खुत्तो वा भजियं-फासुयं एसणिज्ज 'ति मन्नमाणे
लाभे संते पडिगाहेजा। अण्णउत्यिय-गारत्थिय-सद्धि-पदं ८-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं "पिडवाय
पडियाए° पविसितुकामे, णो अन्नउत्थिएण वा, गारथिएण वा, परिहारिओ' अपरिहारिएण वा', सद्धि गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए पविसेज वा णिक्खमेज वा। ९-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा बहिया वियार-भूमि वा, विहार-भूमि वा, णिक्खममाणे वा, पविसमाणे वा-णो अण्णउत्थिएण वा, गारथिएण वा, परिहारिओ अपरिहारिएण वा, सद्धि-बहिया वियार-भूमि वा विहारभूमिं वा-णिक्खमेज वा पविसेज वा।
ل
१-भुजियं (क, घ, च, छ, ब), भज्जिय (अ)। २-परिहारिओ वा (अ, क, च, ब)। ३-४(अ, क, च, छ, द)। ४-न प्रविशेत् नापि ततो निप्कामेत् (वृ)।
»

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113