Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 58
________________ इरिया (बीओ उद्देसो) २११ ३६ – से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जंघा - संतारिमे उदए अहारिय रीयमाणे णो साय- वडियाए', णो परदाह - वडियाए, महइ महालयंसि उदगंसि काय विउसेज्जा, तओ संजयामेव जंघा - संतारिमे उदए अहारिय रीएज्जा । ३७ - अह पुणेवं जाणेज्जा - पारए सिया उदगाओ तीरं पाउत्तिए, तओ सजयामेव उदउल्लेण वा ससणिद्वेण वा काएण दगतीरए चिट्टेज्जा । ३८ - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा उदउल्लं वा कार्य, ससद्धिं वा कायं णो आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा । ३९ - अह पुणेवं जाणेज्जा - विगतोदए मे काए, छिण्णसिणेहे मे काए, तहप्पगारं कार्य आमज्जेज्ज वा "पमज्जेज्ज वा संलिहेज्ज वा गिल्लिहेज्ज वा उव्वलेज्ज वा जव्वट्टेज्ज वा आयावेज्ज वा० पयावेज्ज वा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा । ४० - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे णो मट्टियाम एहिं पाएहिं हरियाणि छिदिय-छिंदिय, विकुज्जियविकुज्जिय, विफालिय-विफालिय, उम्मग्गेणं हरिय- वहाए गच्छेज्जा । "जहेयं* पाएहिं मट्टियं खिप्पामेव हरियाणि अवहरंतु " | माइट्ठाणं संफासे, णो एवं करेज्जा । से पुव्वामेव अप्पहरियं मग्गं पडिलेहेज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा । ० १ - साया ( अ ) । २-ससिणिद्वेण (च) | ३ - उदगतीरए (घ) । ४ - जमेतं (छ) ।

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