Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 88
________________ परिकिरिया अनुन्न किरिया सत्तिक्कयं ३२७ तुयट्टावेत्ता कायाओ सेयं वा, जल्लं वा णीहरेज्ज वा, विसोहेज्ज वा - णो तं साइए, णो तं नियमे । ७३ - (से से परो ) ( से अण्णमण्णं) अंकंसि वा, पलियंकंसि वा तुयट्टावेत्ता अच्छिमलं वा, कण्णमलं वा, दंतमलं वा, हमलं वा णीहरेज्ज वा, विसोहेज्ज वाणो तं साइए, णो तं नियमे । वाल- रोम-पदं ७४ - ( से से परो ) ( से अण्णमण्णं) अंकंसि वा, पलियंकंसि वा तुयट्टावेत्ता दहाई वालाई, दीहाई रोमाई, दीहाई भमुहाई, दीहाई कक्खरोमाई, दीहाई वत्थिरोमाई कप्पेज्ज वा, संठेज्ज वा - णो तं साइए, णो तं नियमे । लिक्ख-जूया-पदं ७५ - ( से से परो ) ( से अण्णमण्णं) अंकंसि वा, पलियंकंसि वा तुयट्टावेत्ता सीसाओ लिक्खं वा, जूयं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा - णो तं साइए, णो तं नियमे 10 आभरण- आविघण-पद ७६ - (से से परो ) ( से अणमण्णं) अंकंसि वा, पलियंकंसि वा तुट्टावित्ता हारं वा, अद्धहारं वा, उरत्थं वा, गेवेयं वा, मउडं वा, पालंबं वा, सुवण्णसुत्तं वा आबिंधेज्ज' वा, (पिणिधेज्ज वा - णो तं साइए, णो तं नियमे । १ - सुवण्णगेवेय (घ ) । २ - आंबधेज्ज (ध, च) । २८

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