Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ पंचमं अज्झयणं वत्थेसणा पढमो उद्देसो वत्थजाय-पदं १-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अभिकंखेज्जा वत्थं एसित्तए, सेज्जं पुण वत्थं जाणेज्जा, तंजहाजंगियं वा, भंगियं वा, साणयं वा, पोत्तगं वा, खोमियं वा, तूलकडं वा-तहप्पगारं वत्थं२-जे णिग्गथे तरुणे जुगवं' बलवं अप्पायंके थिरसंघयणे, से एग वत्थं धारेज्जा, णो बितियं । ३-जा णिग्गंथी, सा चत्तारि संघाडीओ धारेज्जा-एगं दुहत्थवित्थारं, दो तिहत्थवित्थाराओ, एगं चउहत्थवित्थारं । तहप्पगारेहि' वत्थेहि असंविज्जमाणेहि अह पच्छा एगमेगं संसीवेज्जा। अद्धजोयण-मेरा-पदं ४-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा परं अद्धजोयणमेराए वत्थ पडियाए नो अभिसंधारेज्जा गमणाए। अस्सिपडियाए-पद ५-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण वत्थं जाणेज्जा--- अस्सिपडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई, भूयाई, १-जुव (घ)। २-एएहि (अ, च, ब)। ३-अविज्ज° (अ, ब)।

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113