Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 57
________________ २१० आयार-चूला १ : तइयं अज्झयणं ३१ - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा उदउल्लं वा ससिणिद्धं वा कार्य णो आमज्जेज वा, पमज्जेज वा, संलिहेज वा, णिल्लिहेज वा, उब्वलेज्ज वा, उव्वट्टेज्ज वा, आयावेज वा पयावेज वा । ३२- अह पुण एवं जाणेज्जा विगओदए मे काए, वोच्छिन्न , सिणेहे' मे काए, तहप्पगारं कार्य आमज्जेज्ज वा ( जाव ३ | ३१ ) पयावेज वा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा । ३३ - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगाम दूइजमाणे णो परेहिं सद्धि परिजविय - परिजविय गामाणुगामं दूइज्जेज्जा, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा । घासंतारिम-उदग-पदं ३४ - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे - अंतरा से जंघा - संतारिमे उदए सिया, से पुव्वामेव ससीसोवरियं कायं पादे य पमज्जेज्जा, २ ता 'सागारं भत्तं पच्चक्खाएज्जा, २ ता एगं पायं जले किच्चा, एगं पायं थले किच्चा, तओ संजयामेव जंघा - संतारिमे उद अहारियं रीएज्जा । ३५ - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जंघा - संतारिमे उदगे अहारियं 3 रीयमाणे, णो 'हत्थेण हत्थं पाएण पायं, कारण कार्य, आसाएज्जा । ' से अणासायमाणे", तओ संजयामेव जंघा - संतारिने उदए अहारियं रीएज्जा । १ - छिन्न० (क, घ, च, ब ) । २ - उदगंसि (क, घ, च ) । ३ हत्येण वा हत्य ( अ ) ( सर्वत्र ) । ४- से अण्णासादए अणा ( अ ) । ०

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