Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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पिडेसणा ( दसमो उद्देसो)
१६३ तहप्पगारं पडिग्गहगं' परंहत्थंसि वा, परपायंसि वाअफासुयं अणेसणिज्जं 'ति मण्णमाणे° लाभे संते णो० पडिगाहेजा। से आहच्च पडिगाहिए सिया, तं णोहि त्ति वएज्जा, णो अणहित्ति वएजा। से त मायाए एगंतमवक्कमेजा एगंतमवक्कमेत्ता, अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा, अप्पंडए 'अप्प-पाणे अप्प-बीए अप्पहरिए अप्पोसे अप्पुदए अप्पु-त्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा- संताणए मंसगं मच्छग भोच्चा अट्टियाई कंटए गहाय, से त मायाए एगंत मवक्कमेज्जा, २ ता अहे झामथंडिलंसि वा, 'अहि-रासिसि वा, किट्ट-रासिसि वा, तुस-रासिसि वा, गोमय-रासिसि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय-पडिलेहिय, पमज्जिय-पमज्जिय तओ संजया मेव
परिवेजा। अजाणया लोण-दाण-पदं १३६-से भिक्खू वा 'भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए
अणुपविट्टे समाणे, सिया से परोअभिहटु अंतो-पडिग्गहए विलं वा लोणं, उब्भियं वा लोणं परिभाएत्ता णीहटु दलएज्जा, तहप्पगारं पडिग्गहगं परहत्थंसि वा, परपायंसि वा-अफासुयं अणेसणिज्जं 'ति मण्णमाणे लाभे संते णो पडिगाहेजा ।
से आहच्च पडिग्गाहिए सिया, तं च णाइदूरगए जाणेज्जा, १- गहण (अ)। २-अणिहित्ति (छ)। ३-४(घ)।

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