Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ सेज्जा ( पढमो उद्देसो) १७६ सुहाओ वा, गाहावइ-धाईओ वा, गाहावइ-दासीओ वा, गाहावइ-कम्मकरीओ वा। तासिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ, जे इमे भवंति समणा भगवंतो 'सीलमंता वयमंता गुणमंता संजया सवडा बंभचारी० उवरया मेहुणाओ धम्माओ, णो खलु एतेसि कप्पइ मेहुगं धम्मं परियारणाए आउट्टित्तए। जा य खलु एएहिं सद्धि मेहुणं धम्म परियारणाए आउट्टेज्जा, पुत्तं खलु सा लभेज्जा-ओयस्सि तेयस्सि वच्चस्सि जसस्सि संपराइयं' आलोयण-दन्सिणिज्ज । एयप्पगारं णिग्धोसं सोचा णिसम्म तासिं च णं अण्णयरी सड्ढी' त तवस्सि भिखं मेहुणं धम्म परियारणाए आउट्टावेज्जा । अह भिक्खूणं पुव्वोवदिवा 'एस पइन्ना, एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा, सेज्जं वा, णिसीहियं वा चेतेज्जा। २६-एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गिय, 'जं सव्वटेहिं समिए सहिए सया जए। -ति बेमि । , १-सपहारियं (अ)। २-सहियं (अ); सहित (8)।

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113