Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 52
________________ सेज्जा ( पढमो उद्देसो) १७७ पज्जालेज वा, उज्जालेत्ता-पज्जालेत्ता कायं आयावेज्ज वा, पयावेज वा। अह भिक्खूणं पुन्वोवदिट्ठा एस पइन्ना, एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, ज तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा, सेज्जं वा, णिसीहियं वा चेतेजा। २२-आयाण मेयं भिक्खुस्स सागारिए उवस्सए संवसमाणस्स', इह खलु गाहावई वा, 'गाहावइणीओ वा, गाहावइ-पुत्ता वा, गाहावइ-धूयाओ वा, गाहावइ-सुण्हाओ वा, धाईओ वा, दासा वा, दासीओ वा, कम्मकरा वा, कम्मकरीओ वा अन्नमन्नं अक्कोसंति वा, बंधंति' वा, रुंभंति वा, उहवेति वा। अह भिक्खूणं उच्चावयं मणं णियच्छेजा-एते खलु अन्नमन्न अक्कोसंतु वा मा वा अक्कोसंतु, बंधतु, वा मा वा बंधंतु, रुंभंतु वा मा वा रुंभंतु, उद्दवेतु वा मा वा उद्दवेतु।। अह भिक्खूणं पुन्वोवदिट्ठा ऐस पइन्ना, “एस हेऊ, एस कारणं, एस उवएसो, जं तहप्पगारे सागारिए उवस्सए णो ठाणं वा, सेज्जं वा, णिसीहियं वा चेतेजा। २३-आयाण मेयं भिक्खुस्स गाहावईहि सद्धिं संवसमाणस्स, इह खलु गाहावई अप्पणो सअट्टाए अगणिकायं उज्जालेज वा, पज्जालेज वा, विज्झावेज वा। १-वसमाणस्त (व)। २–पहति (क);x (च, व); वहति (अ)! ३-उद्दति वा उद्दवेति (घ) उद्दवंति वा उद्दवेति (छ)। ४-वस (अ, घ, च, छ, ब)।

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