Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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१७६
आयार-चूला १ : वीयं अज्झयणं जं तहप्पगारे उवस्सए अंतलिक्खजाए णो ठाणं वा, सेज्ज वा, णिसीहियं वा चेतेजा।
सागारिय-उवस्सय-पदं २०-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा सेज्जं पुण उवस्सयं जाणेजा
सइत्थियं, सखुड्डं, सपसुभत्तपाणं, तहप्पगारे सागारिए' उवस्सए णो ठाणं वा, सेज्जं वा,
णिसीहियं वा चेतेजा। २१-आयाण मेयं भिक्खुस्स गाहावइ-कुलेण सद्धि संवसमाणस्स
अलसगे वा, विसूइया वा, छड्डी वा उव्वाहेजा,' अन्नतरे वा से दुक्खे रोगातके समुप्पज्जेजा, अस्संजए कलुण-पडियाए तं भिक्खुस्स गातं तेल्लेण वा, घएण वा, णवणीएण वा, वसाए वा, अब्भंगेज वा, मक्खेज्ज वा, सिणाणेण वा, कक्केण वा, लोद्धेण वा, वण्णेण वा, चुन्नेण वा, पउमेण वा, आघंसेज्ज वा, पघंसेज्ज वा, उन्चलेज्ज वा, उवढेज वा, सीओदग-वियडेण वा, उसिणोदग-वियडेण वा 'उच्छोलेज वा", पहोएज वा, सिणावेज वा, सिंचेज वा,
दारुणा वा दारुपरिणाम कटु अगणिकायं उज्जालेज वा, १-साकारिए (छ, ब)। २-उप्पा (क, च, ब)। ३-रोगे आयके (घ)। ४-लोद्देण (अ, ब)। ५-उच्छोलेज्ज पच्छोलेज्ज वा (व)। ६-दारुणं परि° (अ, च) दारुण (क)।

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