Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 43
________________ १६८ आयार- चूला १ : पढमं अभयणं पिडवाय-पडियाए अणुपविट्ठे समाणे, ० गाहावइ - कुलं पग्गहियमेव भोयण - जायं जाणेज्जा १ जं च सयट्ठाए पग्गहियं, जं च परट्टाए पग्गहियं तं पायपरियावन्नं तं पाणि-परियावण्णं फासूयं एसणिज्जं ति मण्णमाणे लाभे संते पडिगाहेज्जा - छट्टा पिंडेसणा । १४६ - अहावरा सत्तमा पिंडेसणा-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ - कुलं पिंडवाय-पडियाए अणुपविट्टे' समाणे, बहुउज्भिय-धम्मियं भोयण-जायं जाणेज्जा जं चने वहवे दुपय- चउप्पय- समण-माहण-अतिहि-किवण वणीमगा णावकंखंति, तहप्पगारं उज्झिय धम्मियं भोयणजायं सयं वा णं जाएजा परो वा से देज्जा -फासुयं एसणिज्जं ति मण्णमाणे लाभे संते ० पडिगाहेज्जा - सत्तमा पिंडेसणा । इच्चेयाओ सत्त पिंडेसणाओ । १४७ - अहावराओ सत्त पाणेसणाओ । तत्थ खलु इमा पढमा पाणेसणा - असंसट्ठे हत्थे असंसट्ठे मत्ते - ( १ ११४१ ) । १४८ - " अहावरा दोच्चा पाणेसणा-संसट्टे हत्थे संसट्टे मत्ते-(१।१४२) । १४९ - अहावरा तच्चा पाणेसणा - इह खलु पाईणं वा, पडीणं वा, दाहिणं वा, उदीणं वा संतेगइया सड्ढा भवंति - (१।१४३) । १५० - अहावरा चउत्था पाणेसणा-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ - कुलं पिंडवाय-पडियाए अणुपविट्ठे समाणे, सेज्ज पुण पाणग-जायं जाणेज्जा, तं जहा- तिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जवोदगं वा, आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्धवियडं वा । ० १ - उग्गहिय ( अ, क, च) ; उग्गहित पग्गहित (चू ) ।

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