Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 30
________________ अट्ठमं अज्झयणं ( अठ्ठमो उद्देसो) २१-अचित्तं तु समासज्ज, ठावए तत्थ अप्पगं । वोसिरे सव्वसो कायं, 'ण मे देहे परीसहा" ॥ २२-जावज्जीवं परीसहा, उवसग्गा 'य संखाय' । संवुडे देह-भेयाए, इति पण्णे हियासए ॥ २३-भेउरेसु न रज्जेज्जा, कामेसु बहुतरेसु वि । इच्छा-लोभं ण सेवेज्जा, सुहुमं वन्नं सपेहिया ॥ २४-सासएहिं णिमंतेज्जा, "दिव्वं मायं ण सरहे । तं पडिवुझ माहणे, सव्वं नूमं विधूणिया ॥ २५-सव्वठेहि अमुच्छिए, आउ-कालस्स पारए । तितिक्खं परमं णच्चा, विमोहन्नतरं हितं ।। -त्ति वेमि। १-न मे देह परीसहा, यदि वा-न मे देहे परीमहा (च, वृ)। २-तिति संखाते (क), इति सखया (ता) (ग, घ, छ). इति संखाय (च, वृ)। ३-बहुलेसु (चूपा, वृपा)। ४--इच्छ° (क)। ५-धुव (धुव° ) (क, ख, ग, घ च छ, चूपा वृपा)। ६-दिन्बमाय (ख, घ, च)। ७-सव्वत्थेहिं (चू)।

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