Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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पुंछणं वा, पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई, समारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छेज्जं अणिस' अभिहडं आहट्टु' 'चेतेमि', आवसह वा समुस्सिणोमि ।
से भुंजह वसह ।
अटुमं अभयणं ( बीओ उद्देसो)
२२ - आउसंतो पडियाइक्खे-
समणा भिक्खू तं गाहावतिं समणसं सवयसं
आउसंतो गाहावती ! णो खलु ते वयणं आढामि, णो खलु ते वयणं परिजाणामि, जो तुमं मम अट्ठाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा, वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पाय- पुंछणं वा, पाणाई भूग्राइं जीवाई सत्ताई, समारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छेज्जं अणिस अभिहडं आहट्टु चेएसि, आवसहं वा समुस्सिणासि ।
से विरतो आउसो गाहावती ! एयस्स अकरणाए ।
२३ - से भिक्खू परक्कमेज्ज वा, ° चिट्ठेज्ज वा, णिसीएज वा,
तुयट्टेज्ज वा,
०
सुसानंसि वा सुन्नागारंसि वा, गिरि-गुहंसि वा, रुक्खमूलंसि वा, कुंभारायतणंसि वा हुरत्था वा कर्हिचि विहरमाणं तं भिक्खु उवसंकमित्त गाहावती आयगयाए पेहाए, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा, वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पाय-पुंछणं वा, पाणाइं भूयाई जीवाई सत्ताई, समारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छेज्जं,
,
०
१ - मिट्ठ ( ख, ग, घ ) ।
२ -- आफुड (च ) ।
३- वेतेमि' त्ति केयि भणति करेमि त तु ण युज्जति (चू ) । ४ -- आवसधं (ख, ग ), आवसथ (छ) ।

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