Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha

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Page 23
________________ आयारो ५-तं आइइत्तु' ण णिहे ण णिक्खिवे, जाणित्तु धम्म जहा तहा । ६-दिटेहिं णिव्वेयं गच्छेजा। ७–णो लोगस्सेसणं चरे। ८-जस्स णत्थि इमा णाई, अन्ना तस्स को सिया ? ह-दिलु सुयं मयं विन्नायं, जमेयं परिकहिजइ । १०-समेमाणा पलेमाणा", पुणो-पुणो जाति पकप्पेंति । ११-अहो य राओ यः 'जयमाणे, वीर ८ सया आगय-पन्नाणे । पमत्ते बहिया पास, अप्पमत्ते सया परकमेलासि । -त्ति बेमि। बीओ उद्देसो १२-जे आसवा, ते परिस्सवा, जे परिस्सवा, ते आसवा, जे अणासवा, ते अपरिस्सवा, जे अपरिस्सवा, ते अणासवा - एए पए संबुज्झमाणे, लोयं च आणाए अभिसमेच्चा पुढो पवेइयं। १३-आधाइ णाणी इह माणवाणं, संसार-पडिवन्नाणं संबुज्झमाणाणं विन्नाणं-पत्ताणं । १-आइत्तु (ख,ग,च,छ.)। २--अहा (घ)। ३-कुतो (च)। ४-ज लोए (चू)। ५-पालेमाणा (क, च), चलेमाणा (शु०)। ६-४ (ख,ग,छ) । ७-धीरे (ख,ग,घ.)। 5-जताहि एव वीरे (चू)। ६-अक्खाइ (ध); नागार्जुनीया-मावाइ धम्म खलु से जीवाण, तजहा--संसारपडिज वन्नाण मणुस्सवभत्थाण आरंभविणईण दुक्खुव्वेअसुहेसगाणं धम्म-सवणगवेसगा - निवित्त-सत्थाणं सुरसूसमाणाण पडिपुच्छमाणाण विन्नाणपत्ताणं (च, व )।

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