Book Title: Aayaro Taha Aayar Chula
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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आयारो
६६-लज्जमाणा पुढो पास। १००-अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा । १०१-जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं वणस्सइ-कम्म-समारंभेणं
वणस्सइ-सत्यं समारंभमाणे अण्णे वगरूवे. पाणे
विहिसति । १०२-तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेदिता। १०३-इमस्स चेव जीवियस्स
परिवंदण-माणण-पूयणाए, जाती-मरण-मोयणाए,
दुक्ख-पडिधायहेउं । १०४--से सयमेव वणस्सइ-सत्थं समारंभइ, अण्णेहि वा वणस्सइ
सत्थं समारंभावेइ, अण्णे वा वणस्सइ-सत्थं समारंभमाणे
समणुजाण । १०५-तं से अहियाए, तं से अबोहीए । १०६-से तं संबुज्झमाणे,
आयाणीयं समुहाए। १०७-सोच्चा भगवओ, अणगाराण वा अंतिए इहमेगेसिं णायं
भवतिएस खलु गंथे, एस खलु मोहे, एस खलु मारे, एस खलु णिरए।
१-कुंव गडिया (चू)। २-अणेग° (ख, ग, च)।

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