Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 14
________________ सन्त- जिणबयणे दढचित्तो होह पहियहं । इति श्रीउवंगचूलिया सम्मत्ता सं. १९२९ फा. सु. १४ श्रीमद्विजय- चंद्रगणिना लिखिता । ख શ્રી તપોવન સંસ્કાર ધામ- તવસારી नं. २, पत्र - १3 एदा।। श्रीगुरुस्पोनंम ] [श्रागोदिजिनंमानं] [सनासंफटुकारिनिंनंम्पादेवता] [परखरमप्रधानदेवता नाभस्त के फगष्टलिंनी खास a मनुष्या कति किररचित || श्री वितरागायनमास शिवरन मिटाकरवर ] सिरिसेदर किर पर ईटयस स्सिरि 'सोलहवा श्री नाचरणकमा कसिदिनानी श्रीधारमानीवेष्ठि कविसि हर्मास्तामीना दरसिं Talaamfar योन मिन सिरिविरण्यं । दुयदील गप्पतिश्वीरादेवी समे वरिसें । सिरिमदम्मा निर्देश निवारणबिनासीमवर सिंसि श्रीजंबुस्वामीवादेव निवारणविरसि श्री नवम मिनिघाएं। तत्रोतुंयालिसे सियो| जंबुत् रिमजा | २शतनुश्कानसरिसें हिं | पलव वजांनी रिस्वगयामदास धरावावर्षे श्री सिद्यनव स्वामी स्वर्गनिविधियादेत्ता' ३ नदनामिष्प श्रीज सामरिक नकदवा सूरिगन तासां । तेविसाए सिद्ध। लवोटयतनगर्नु सग |3| जससहरु तो श्री सिद्धांतवस्वरिनामिष्पकदवायागमा श्रीमान विदारकग्नासावनगर श्रीस्वामी क नाजी बे विनिविषि कोष्टकन मिंद्या निम्मासस्वा निविजय सीसो सिंकोनव स्मसमयन्नू दिहरतोपतो सात त्रिकाणं ४ सिरिनहबाऊ हादसंगी नाहर पदार 'महाकोलामिनिरेनार निसानामाकरणदार संदई विजयसीमावालसगद्वारा पाधियायनिवं एतिसम्म પ્રથમ પત્ર इतिश्रीविंगचुलीच्या तल नानीत्पत्ति सम्मान संपु संवत र नाफा दिद इतिश्रीवगाव विद्याएसूयही कप त्रिअक्षय संपूर्ण संत २८५८वफाए टिनिस पुर्ण गुरुवास श्रीसीतलपुर श्री सांनिनाघऽसादाव विदरवरुवासरे संपूर्णी श्रीशांतलपुरनगरे। श्रीशांतिना६ प्रशादात्॥ भरनमियसुरवर.... અંતિમ પત્ર સ્તબક સહિત. આદિ - श्रीवितरागाय नमः । भत्ति सन्त- जिणवयणे दढचित्तो होह पइहियहं । ९ । इति श्रीवंग्गचूलियाए सूयहीलुप्पत्ति अज्झयणं संपूर्णं । संवत् १८५८ वर्षे

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