Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ अन्त- .... जिणवयणे दढचित्तो होह पइहियहं ।९। इति श्रीवंग्गचूलीया ॥ ॥ श्रीः ।। सुयहीलणुप्पत्तिअज्झयण संपूर्णम् ॥ ॥श्रीः॥ ठ - श्री .ताससागरसूरि ज्ञानमहिर - डोजा सा. 8. १009, पत्र-१८ नम्नक्तिनासमूकशम देखतानामस्तकेमुगटतेनीमाता श्रीवारमाधरशाकमल म्याऐवताममुष्यवरकहता कंतीकिरोरचितस्योनित)। प्रतिनमान दालसिन्नरनमियसुरवरामिश्सेिदरकिरणारंध्यसस्सिश्यिानमिसिरिवारय कदासजसकाल श्रीवारनिर्वाणकर (नासुधमस्विामीनोनिवरितिवायरा ये नानीनत्यनिवासवरसेाययोम्याल बुसुयीलुप्यन्निवारनासमेयरिसे सिरिसुहम्मसामीनिहारततो सबरसेसिका प्रासंबूस्वामी तिवारैयबैग्यारवर भाजन्नसरास्वत यम्यादनाकेवलज्ञानी सा . या यालासेमिठो जिरिमनातनचारसररिसेदिसायलसूरिशसियस मदालसनोजेरावोवासनावाईतेदनानिशानाजसो प्राशनवा नररिस्वामी. नसरिगुरुतेकैवानेमरि नवातेवासारासिन्नवायततोगयोसमाजसनश्गुरुततोसासोसिस પ્રથમ પત્ર नजिरण्वयोवक्तिोदोदाय दियाराश्यवंगाबूलायाशसुय दाजुय्यन्तिाशयसममातिनावंगवालयाससमानान्य वालियानारयणीमारामानेगुगलपीतबश्टावालातारणमी माननवावधानप्राश्ये लसुबाजेकोश्यावेतबदीवाताव्यासासवा र અંતિમ પત્ર

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112