Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
स्त सहित. माहि - श्री जिनय नमः ॥ भत्तिब्भरनमिरसुरनर...
न - सेन्ट्रल लायब्रेरी - अरोड। એસીસી નં. ૨૯૧૫, પત્ર-૧૭
प्रनिनिय सिसि
द वीगुरुन्यो श्रीगोमिनिमोतिनोसमहरुरिनिंनंम्पादे । ण्रंचरकश्नदेवतानामस्तकेमग|| PAR . उत्ताकप्य
हनिमानाकाविकिरण गलीinutanावित रागटानमशिरनामयसरवासिरिसेदरकिरणरईया Hरचित सोनीतएवाश्रीहरनावरणक । कहिसहं मदिखनानी नीहारनानीदीपक्षिति मतिनमान .. तएतार
सिरसिं सस्सिरियाममिसिरिविश्ययाक्खंसयदीलफातिवीरावतीसमेaरिसे। श्रीरूहमी स्वामीनोनितीय तिवारपब्धियाजीसद, नाजस्वमीबन्द तिवारएन
रसिसिएं
साकेवलज्ञानी सिरिसम्मसानिनिहाणianोवुयालिसेसिहोङस्वरिमनालियन इकार एस्विरसिं । नीनवसारस्वगंगटॉमहा वीसवईजीसिसनसनिविछिपे। जसकघरएहवा
स्वामी सवरिदिफ्तसरिगतियसनवगातेविसाासिऊावोयोगध
तेहनासिटीजसोत जसिजवस्वरिनासियोदतावें।श्रीजसोनाकरिश्थ । सरिगुरुतेकेदका
बागमताजा विवि सम्माङसनफरतशोसीसोसिऊलवस्ससायन्लूविहरतोपतो।
सिमोडबुत
પ્રથમ પત્ર
लोग
/
| सपनोकतनोजदयथासे | ६/नयसोजगुरु । वनमान मीmusoiसयलयम्समलिश्यजस्मन्नरुणाव्यसो ||मनिराएपनि मार्टिक्षणादेश ) परवा रवदना आचार्यविधि बामणीसवेरग्गएण्याहिणतोपुरगदपार मालिक
रूक नवाज | सकति । मलेगुनाक / अविरतपणमदेव ८ रिसफतहनदासत मलेरणपत्न्लोग गिरत्तोपदमकश्य नहे| नानोउएय। हजासालाहल लिनि जसोनइक्वमिजिनधर्मर
विधि। यहालएाप्पायफल फलानाणिकणअन्ाविस्मन्न जिदयणेव
। हितकर | तिनादिग्चुलाया | देलनानी उए अध्ययतम वितोव्होहएइदियह इतिश्रीरंगाचुलियएमयाहालतिअनयास
અંતિમ પત્ર स्त सरिता. साह - श्रीवितरागाय नमः । भत्तिब्भरनमियसुरवर....
अन्त - ...जिणवयणे दढचित्तो होह पइहियहं ९ इति श्रीवंगाचूलियाए सुयहीलुप्पत्ति अज्झयणं संपूर्णः संवत् १८८२ वर्षे चैत्र वीद ११ सामे संपूर्ण ॥ श्री।। ।। श्री।।

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112