Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 33
________________ શ્રી તેમિ-વિજ્ઞાત-કસ્તૂરસૂરિ જ્ઞાતભંડાર - સુરત पत्र પ્રથમ પત્ર सूत्रम् वंगचूलिओ ॐ जिनाय नमः । मत्तिव्मरनमिरे सुरनर सिरिसेहरे किरण रइयसस्सिरि१ यं नमिडं सिरिवीरपयं बुच्छंसुर्य, हिल प्पति वीराउ वीस मे वरिसे, सिरिसुम्मसामि निव्वाणं ततो चुयालेसे, सिद्धा जम्बू चरमनाणी, तओ इक्कारसवरि सेह प्यभव सुरिगओ | तिय सभवणं तेवीसाए, सिज्जं भवो य ततो गओ सग्गं३ जसदगुरु ततो सीसो सिज्जं भवस्स समयन्नु विहरंतो य पत्तो, सावत्थकुछ गुज्जाणं|४| सिरिमद्दवाद संभई विजयसीसा दुवाल संग धरा । वा सहिया य निधं कुर्णति सुस्सुसणं गुरुणों, अह भद्दवाहु सीसो, महिलाए अग्मि दत्तनामेणं लच्छिगे उज्जाणे, परिमाहिओ तवं चर३|५|| इत्तो दुवीस पुरिसा, गोमहिला गजमंस परवसगा | कामलयाए रता विचरंति सया तदुज्जाणे ६ पासंति ' શ્રી તેમિ-વિજ્ઞાત-કસ્તૂરસૂરિ જ્ઞાતભંડાર - સુરત पत्र ઉપાત્ત્વ પત્ર यहीलणं महजहाउदओ मुक्खाओ वीर पढ़णो इसए हियएगनवर अहिएहिं वरीसाइ संपर नीवो जिण पडिमा होति। ततो सोलसएहिं नवनवर से सुरहिं व रीसेहिं ते दुट्टा वाणीयगा अवन्नइस्सेति खयमेयं तंमि समए अग्गिदत्ता संघसुयजम्मरा सीनक्खते अडतीस इमो दुट्ठो गलिंगिस्सर, घूम के उ ग हो तस्म हिंद तितिसया तीत्तीसा एगरासीवरीसाणं तम्मिय संघस्स सुयस्स उदओ पच्छा एइय जसमद्दगुरूणं वयणं सोच्चा मुणी सुवेरग्गो पाया हीणं कुणत्तो पुणो र वंदर पाए आपुच्छिउण सुरी सुगुरु तहय भद्दवादसंभूयं संलेहणं पवनोग ओग्गिदत्तो पढगकपणे इयमुय हीलणुप्पाय फैली फलं जाणिउण जसभद्दे जिगर वयणे दद्दचित्तो होह परदीयहं । इति वंग चूलिया सुत्तम् ।

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