Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 36
________________ 10 શ્રી મોહતલાલજી જૈત જ્ઞાનભંડાર - સુરત पो.नं. २५, प्रत नं. १०१, पत्र - १२ પ્રથમ પત્ર रहते करा तासु र देवन र मनुष्य तिएना सिरसिर ते मुकरना कि रासीक सोचना कदे दिनमान क्रांति युक्तदेवतानामस्तक नामा श्री वारस्वामिना प्रणवंदनिक्रांति ततिरन मिरसुरनर सिरिसेदर किरएर इयसस्सिरियनमिन सिरि तिसोनित नमस्कार कराए दवाव र एक दिन बारवा माया विसमेव रिसे श्री सुध तताहिलानिनुत्पत्ति स्वामिनोतिया जाल वो वीरपय वसुदा लग्गु पति वीरनवासमेवारिसे सिरिसुद तिथाज बूस्वामिया व सप वै श्राज बूबा मिसिपिडता तथाश्वरसेव स्सा मिनिघाणं ततो बुयाले से सियाज, बुचरमनाली तनइकारस तिलथा र रमेश से सिजन स्वामिस्वता 1 स्वामि देवलोक यह त वरि से दय्प. नवसूरिगन तियसनवणं तेविसाए सिद्धंन वोय/ ततो ३ तिरायाबैजसो खामिसिन व स्वामिना सिप 'विचरताथका 95ता, गनुसार जसनगुरुतत्तो सीसोसिऊंनवस्त समयान्तु वित શ્રી મોહતલાલજી જૈત જ્ઞાતભંડાર - સુરત पो.नं. २५, प्रत नं. १०१, पत्र - १२ ઉપાત્ત્વ પત્ર गोष्टद्लासि भूझ‌ के चु लाग सिलिकग्रद्रा स्थिति३३३ तानसेने तीसवरसल सइ मोड होग लागि स्तधूम के न गादी तस्स वितिनसया । तिि तिलरोप्रावथापंथरस्यै पबैसंघ नो नो नृदयको ि / साएगरासिव रिसाएतम्मियमा लोन संघ ससुयस्तनद्नयपि एवोजसो गुरु ववनसंत्तामुनिराज वैराग्यवंत प्रदक्षिणा देश । वारंवा इयसन द्दगुरुणं वयां सोचा मुली सुवेर गोमाया दिए कुएं तो पु वंदनावर करानै नकारेबिनबाने सद्गुरुश्री नऊ वाऊस्वामी संनूत स्वामि वंद पाए६ सिरिं गुरुतद्वाऊ संत्यसले दल्यव संध्यारो ग्रह्मी प्रग्निदत्तमुनिराज एवोस्तदालानो फलाफल लोग गिदत्ती पदमक १ इयतुय हाल प्यायला फलं जा लि

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