Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 21
________________ इति श्रीउपांगचूलिकासूत्रं समाप्तं ॥ १८२५ वर्षे कार्त्तिककृष्ण अमावास्यां पूर्णतामगात् श्रीअर्बुदोपरि ऋद्धिप्रीयेण लिखितं ॥ ट - श्री .ताससागरसूरी ज्ञानमहिर - डोजा સા. ક્ર. ૨૭૬૭ 14 श्रीवीतरागायनमानीनतिनैस हैरिनध्यादेवी परवरक०क्षनवतानामरतकैमाकस्से सोचिस्पहवानी। उसमीनमः। नामनुष्य हनीमानाकीसिकिरवीरवितवीर-चरणका आएदपाश्रीवीतरागायनान्शिनरनभियसरवासिरसेहरकिरणरईयसास्सिरियानमिसिरवर मन काहिसऊंनुसहेलनानागार श्रीवारकी निर्वालय श्रीमतिमीनुनिलियी तिवारनियमाजीसा सति कीबसवर से २० 1 वर सेंसिरवलेवापा रपय छसयहीलगुप्पतिसवीरावीसपेरिसे सिरेसहमसामिनिहाणं तशीवुयालिसिसिकी। श्रीजबूस्वामीजीह तिवारपशग्यारवरसे। श्रीश्नहरी गया महायस्तु वासवबश्नाछन। त्रिदिवे. इलाकेरलपानी घररहवा । स्वामी डंबुचरिमनालिशातकार सरिसहिं पनवहरिगतियसन्नवा विसादसिङानवीय॥ पोहता - सेहनासिष्पनीसोनची सधुनसरीनासिष्पके हवामानिधिविहारक सावधानगरीनाको । हरिगुरुलेवहिवागमनाजोगत्रीयसीचइसरिश्वी रत्ती तसीगसाशासनहगुरुतसी सीसोसिङनवस्ससमयन विहरतीवती सावधियु। बसमोस श्रीनवासस्वामीनासच लिविङयवसि शदागीनावरणहा कसेंना रहिलहारविस उसभीस भुषासेवा पया ताज्या रासाकाज जाएंधसिरिनहबाजसंन्नईविडयसीसाऽवालसगछारा,पासहियायनिव.तिसस्स नाकारको पह पाहिदेवानवाहनाशिष्य मिलानगरीशीअग्निदत्तनमैमिनाहनवाना उद्या रसिमरह्यातिप्रात वाशिष्य पहसिष्यथा लावा. शलानगरीमावि सीगुरूलीयाहन्नहबासीसो महिलाएअमीदृन्निनाशपालछिउकासोपनिमावि वसनसरीमानसरस्वतीवती सावधि स्वा પ્રથમ પત્ર स्विमसामलिममानिदेशपयाम मानवताव सारंवार वंदना करै, मावार्थसियुम्नवाज वयसोचामलसरगोवियाहिकम्तीणीश्वंदपा९७)मापविनासरीगुरुसह सन्हत विजयनै सलेषणाकरि] मनिट्सयमदेवलोकैगया। मनुनहीलनानीउपाय, कल सश्लाफल नवा सन्तय संहलपवन्ती गग्गिदृत्तीपदप्रक्ष्ये यसहीलएरव्या फलंकलाजा नलिन सीन क्रमिनुधर्मछि) दृढम्बनकरै ] इतिगहलाया सतरण। लकसम्मन्नविनस्सन्न जिलयले दृढदिनी होहपरहियहातिनीबंगावलीया सभी यहीलकपनियासंदर्जाम्। ॥श्रीग અંતિમ પત્ર स्त७४ सहित.माह - श्रीवीतरागाय नमः । भत्तिब्भरनमियसुरवर...

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