Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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यानांपुस्तकंहा तालिवतमया शामिछवा मनदीयोनदीयते इतिवडा
मितिसंवत८५४३ माघलादिदिबुधवासरे श्रीसरावानगर: श्रीकोणमस्त ति)
सकसमित्वकाडामणिमिनीतमश्रीश्रीस्यवियागणि सिध्यसकलस
ज्ञानमितामुगटामणिश्रीश्री मोहनविडयमणिकसिम्पसकसमितवरशि
रोनालश्रीश्रीनलिऊयगतसिव्यश्रीकिमाविजयाmaaaaainale:
અંતિમ પત્ર
स्तन सहित. साहि - भत्तिब्भरनमियसुरवर...
अन्त- ... जिणवयणे दढचित्तो होह पइदियहं ९ इयवग्गचूलियाए सुयहीलुप्पत्ति अज्झयणं समत्तः १ ॥ यादृशं पुस्तकं दृष्ट्वा तादृशं लिखितं मया यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न दीयते १ इति जैमिति संवत् १८५४ वर्षे माघ शुदि ७ दिने बुद्धवासरे श्रीसणवानगरेः श्रीकल्यांणमस्तुतिः ॥ सकलपंडितचक्रचूडामणि पंडित्तोत्तमपंश्री ११० पं. श्रीरूपविजयगणि तत्सिष्य सकलसद्भालपंडित ।। मुगटामणि पं.श्री १०९ श्रीमोहनविजयगणि तत्सिष्य सकलपंडितप्रवरशिरोमणि पं श्री १०७ पं श्रीमणिविजयग तत्सिष्य पं. श्री क्षिमाविजयगणि लिपि चक्रेतिः मंगलंति

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