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किं नु चित्तं मनुष्याणाम् II. 4.27a किं नु तत्कारणं येन V. 26.14a ,, तस्य मया कार्यम् II. I03.9a किं नु तेऽवषयद्रामः II. 74.3a ,, ते बलवत्तरा: VII. 4.5d ,, ,, रामसांनिध्ये VI. 20.27c ,, ,, तेषां गृहैः कार्यम् II. 48.7a किं नु दुःखमलीकं वा II. I2.6ra किं नु नाथे मयि स्थिते III. 21.5b किं नु नाद्य यथा पुरा II. 71.28d ,, ,, पश्यसि कारणम् II. 73.12d ,, ,, पापं कृतं पूर्वम् VII. 48.4a ,, ,, मां भक्षयिष्यति VII. 24.IId
,,,, वानराः सर्वे V. 12.7a ,, ,, मृत्योर्भयं नास्ति VI. 29.Ira
मेऽयं दिवास्वप्नः II. 12.2d ,, ,, मे दुष्कृतं कर्म VII 73 3a ,,,,, ,, ,, VII. 73.4a ,, ,, मे सीतया कार्यम् VI. 49 5a ,, ,, राजाभियास्यति VII. 44.2nd किं नु राज्येन दुर्धर्ष VI. I01.15e ,, रुट्कारुणं सुभ्र IV. 33.32a वक्ष्याभि कौसल्याम् VI. 49.8a. ,, , VI: ICI.16c
धर्मज्ञम् IV. I.I06a ,,, ,, मुनिपु VII. 48.7a ,, ,, वक्ष्याम्ययोध्यायाम् IV. I. II2a ,,,, वक्ष्याम्यहं देवि III. I0.3a ,, :, शक्यं मया कर्तुम् III. 50.25a ,,, शत्रुघ्नमुद्दिश्य VII. 43.6a ,, ,, स्याञ्चित्तमोहोऽयम् V. 34.23a ,,,, स्यादित्यचिन्तयन् VII. 29.28d ,, ,, हत्वा महाभागान् III. 29.6c ,, नो हनूमता कार्थम् VI. 8.10a ,, विदं दारुणं वनम् I. 24.16b
किं विदं मुनिवर्जितम् I. 48.121) ,, पश्यसि कुमारस्य IV. 33.33a किं पश्यसि समाधानम् V. 56. I0c
, , , V. 68.10c ,, पश्यसे समाधानम् V. 39.27c किंपाकमिव भक्षयन् II. 66.6b किं पापं प्रतिपत्स्यते II. 108d , पुनः कर्मणा जनैः VI. 30. I(9b ,, ,, पूर्वकारिण: IV. 43.7d ,, ,, प्रतिकर्तुस्ते IV. 20.20c ,, ,, प्रोषिते तात II. 20.4Ic
मजाम VII. 45.15b ,, पुनर्जीवनप्रेप्सु: VII. 34.26c ,, पुनर्दशवर्षाणि II. 30.21c ,, पुनधृतिमान्महान् IV. 7.7d ,, पुनर्नरवानरैः VI. 20.12d , पुनर्मद्विधो जनः VI. 18.25d ,, पुनर्मनुजेन्द्रेण II. I0.8a ,, पुनर्मम मानद II. 27.4d ,, पुनमनिवा युधि I. 20.22d ,, पुनर्मानवों रणे VI. 8.2d ,, पुनर्मानुषो दृष्टा VI. 80.-1c ,, पुनर्यः पृथग्जन: IV. 358d ,, पुनर्यस्य लोकोऽयम् II. 33. IC ,, पुनर्यादृशो गवान् V. I.II2d ,, पुनर्या विना रामम् II 74.28c ,, पुनर्युध राक्षसा. V. 59.15d ,, पुनर्यो गुणल.घ्य: II. II8.4a ,, पुनर्यो माहवे III. 20. I4d
____VI. 56.7b ,, पुनर्लक्ष्मणं युधि VI. 92.8b ,, पुनर्वसुधातलात् VII. OS.5d ,, पुनर्वालिनं प्रभो IV. I 2.8d ,, पुनः शोकमात्मन: VII. 52.13d , पुनः सहितो वीरैः V. 59.8a
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