Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Joravarmal Sampatlal Bakliwal

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ रूप में कहा जा सकता है कि सोमवंशी राजाओं का संरक्षण प्राप्त कर जैन धर्म अत्यधिक विकसित और उन्नतशील हुआ । सोमवंश के पश्चात् गंगवंश का अभ्युदय हुआ । साम्राट गंग राजाओं और गजपती के शासन काल में उड़ीसा में जैन धर्म पूर्ण रूप से उपेक्षित नहीं रहा। एस.एन. राजगुरु ने उड़ीसा के इनस्क्रिपसन नामक कृती में कहा है कि शक संवत् ११०० अथवा अनन्त वर्मा के ग्यारहवें राजत्व काल में राज- राज द्वितीय गंगवंश के साम्राज्य कन्नम नामक सम्राट जैन धर्म का श्रद्धालु समर्पित और पुजारी था। उस ने उत्कल के राजा को रम्भामजिरी (रामतीर्थम्) में परमपूज्य जिन की एक मूर्ति राज- राज जिनालय नामक मंदिर में स्थापित करने के लिए सहयोग दिया था। भोगपुर के कतिपय व्यापारियों ने अमर ज्योति प्रज्वलित करने के लिए भूमि प्रदान की थी। उक्त अभिलेख में यह भी कहा गया है कि २२ वें तीर्थंकर नेमिनाथ की शासन देवी अम्बिका की मूर्ति की भी उसी मंदिर में स्थापना की गई थी। इस प्रकार ई.सन १६ वीं शताब्दी तक उड़ीसा में जैनधर्म का अस्तित्व निरन्तर और उन्नतशील बना रहा। लेकिन इस के पश्चात् जगन्नाथ धर्मपंथ के अभ्युदय होने से उड़ीसा में अनेक सदियों तक में अपना प्रभुत्व रखने वाला जैनधर्म कमजोर हो गया । मनमोहन गांगुली ने अपनी कृति उड़ीसा एण्ड हर रिमेन्स में ठीक ही कहा है कि जैनधर्म की जड़ें इतनी गहरी थी कि हम उसके चिन्ह १६ वीं सदी ईस वीं तक भी पाते है। उड़ीसा का सूर्यवंशी राजा प्रताप रूद्र देव जैनधर्म की ओर बहुत झुका हुआ था, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय है । जो उदयगिरि खंडगिरि आध्यात्मिक रूप से जैनधर्म की केन्द्र थी और जहाँ धार्मिक अनुष्ठान होते रहते थे, तथा जिस ने सम्पूर्ण देश को जैनधर्म का संदेश दिया वही खडगिरि और उदयगिरि १६ वीं शताब्दी के पश्चात् सुसुत्प हो गई। आर. पी. महापात्र ने जैनमोनुमेटस (पृ. ३०-३१ ) में कहा भी है : "After 16th century Jainism give away to the rising Jagannath cult. Khandagiri the most illustrious centre of Jainism in Orissa was found to have been deserted having acquired Jain Education International ४२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158