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परिस्थिति में ब्राह्मणों के द्वारा छोड़े गये भोजन करते हैं। राजपूत, वैद्य और कायस्थों के यहाँ पानी पीते है, या मिठाई लेते हैं।
पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज का ध्यान सराकों के उद्धार करने की ओर है। अत: उनकी प्रेरणा से अब जैनियों ने सराक भाइयों की आर्थिकि सहायता करना प्रारम्भ कर दिया है। उनके मंदिरों की मरम्मत तथा नया मंदिरों का निर्माण करवा रहे हैं। उन के बच्चों के उच्चाध्यन की व्यवस्था भी कर रहे हैं।
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