________________
एक रथ पर सूर्य-चन्द्रमा को भी उतकीर्णित किया गया है जो जैनधर्म संस्कृति के प्रतीक है। ___इसी गुम्फा में धातु निर्मित घट और पताकाएँ दाहिने कोने पर दृष्टि गोचर होती है। बांई ओर भी बौना को पानी से भरे घडे और वैनर लिए हुए अंकित कर स्वप्न स्वरूप मंगल कलश के साथ संगति बैठाई गई है। रानी गुम्फा में मंगल कलश लिये सैभाग्यवती महिलाओं को प्रकट किया गया हैं।
__ अनन्त गुम्फा में चार घोड़े वाले रथ का उत्कीर्णित होना जैनधर्म संस्कृति का प्रतीक है। जैनधर्म की मान्यता है कि सूर्य भी अपने विमान में रहता है। स्वर्ग के सभी देवों का अपना-अपना विमान होता है। महावीर की मा ने स्वप्न में विमान देखा था। अत: उक्त रथ जैनधर्म संस्कृति का प्रतीक है। एन.के.साहु भी माना है। आर.पी.महापात्र ने भी जैन मोनुमेन्टस (१९९) मे कहा है: The Jainas use the Viman in the sence of celestiol abode.
इसी प्रकार कमल युक्त सरोवर भी अनंत गुम्फा में चित्रित कर जैन धर्मत्व को प्रकट किया गया है। जगन्नाथ गुम्फा में मछलियों के जोड़े भी उत्कीर्णित कर जैनधर्म में मान्य शुभ स्वप्न को प्रकट किया गया है।
इसी प्रकार अन्य स्वप्न भी विभिन्न गुफाओं में उत्कीर्णित करने से स्पष्ट है कि खण्डगिरि-उदयगिरि में जैनधर्म-संस्कृति प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। अष्ट मंगल द्रव्य के रूप में जैनत्व: ___ जैनधर्म की दोनों परम्पराओं में भृगार, कलश, दर्पण, बँवर, ध्वजा, वीजना(पंखा), छत्र और सुप्रतिष्ठित जैनधर्म में ये आठ मंगल प्रसिद्ध है। इन अष्ट मंगलों की पूजा आज भी धार्मिक अनुष्ठान के समय होती हैं। इन में से अधिकांश मांगलिक द्रव्यों को खंडगिरि की अनन्त गुम्फा अलका पूरी में कलशध्वजा चंवर छत्र आदि को दिखलाया गया है। अष्ट प्रातिहार्य के रूप में गुफाओं में जैनत्व :
जैनधर्म में अर्हन्त के ४६ गुणों में आठ प्रातिहार्य रूप गुण बतलाये गये हैं। अशोक वृक्ष, तीन छत्र, रत्न जडित सिंहासन, भक्तगणों से वेष्टित रहना द्वन्दुभी वादन,
११८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org