Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Joravarmal Sampatlal Bakliwal

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Page 137
________________ ३. भगवान् पार्श्वनाथ मंदिर (पुराना) : शीतल नाथ मंदिर के बांई ओर तीर्थंकर पार्श्वनाथ का मंदिर है । इस में पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग रूप में खड्गासन मूर्ति श्याम संगमरमर की है । यह लगभग ८ फीट ऊँची है। इसकी स्थापना वैशाख शुक्ल सम्बत्२००७ और २० अप्रैल १९५० में हुई -थी। इसके बांई ओर धरणेन्द्र और दाहिनी ओर पद्मावती खड़ी हुई हैं। दोनों के सिर के ऊपर छोटे-छोटे पार्शनाथ की मूर्तियाँ भी दृष्टिगोचर होती हैं। मूर्ति के दोनों ओर तुरही वादक और चंवरधारी खड़े हुए हैं। ४. भगवान् पार्श्वनाथ मंदिर (नया) : यह मंदिर इस के पूर्व के पार्श्वनाथ मंदिर की अपेक्षा बड़ा है। इस मंदिर के मूल नायक २३ वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ हैं। इस के अलाबा चार और तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं । Jain Education International १२४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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