Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Joravarmal Sampatlal Bakliwal

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Page 134
________________ (क) तीर्थंकर आदिनाथ वेदी: PMCUP इस वेदी के गर्भग्रह अर्थात् मंदिर के अन्दर वाले भाग में एक चबूतरा है। इस वेदी के मूल नायक बलुआ पत्थर से निर्मित आदिनाथ त्र-षभदेव हैं। त्र-षभदेव मध्य में सफेद संगमरमर के पद्मासन और ध्यानावस्था में कमलासन चौकी पर विराजमान है। नेत्र झुके और धुंघराले बाल कंपायमान छत्र और कान लम्बे है। मध्यस्थ आदिनाथ तीर्थकर के दोनों ओर कुल मिलाकर १६ छोटी-छोटी क्लोराईट पत्थर की मूर्तियाँ हैं। बांई ओर १० और दाहिनी ओर १६ मूर्तियाँ मंदिर से भी अधिक प्राचीन हैं। सब मिलाकर २४ मुलनायक आदिनाथ के मूर्तियाँ इस मदिर में विद्यमान है। आदिनाथ की बाई ओर खड़गासन अवस्था में पहली मूर्ति आदिनाथ की है। इनका चिन्ह भी है, दो चंवर धारी नीचे खड़े है। दोनों ओर दो-दो मूर्तियाँ हैं। बाई ओर संभवनाथ और शान्तिनाथ एवं दाहिनी ओर अभिनन्दन नाथ और अजितनाथ तीर्थकर हैं। इसके पश्चात् दोदो आदिनाथ की और मूर्तियाँ है। तीसरे नम्बर की आदिनाथ मूर्ति अष्टाग्रह से भी युक्त है। इसके अलावा सुमति नाथ तीर्थंकर की भी एक मूर्ति है। उसी प्रकार दाहिनी ओर आदिनाथ तीर्थकर की क्लोराईट खडगासन मूर्ति सभी मूर्तियों की अपेक्षा बड़ी है। दाहिनी ओर अम्बिका शासन देवी अधिकांश मूर्तियाँ आदिनाथ तीर्थंकर और एक १२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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