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सोलहस्वप्नः
जैन धर्म की मान्यतानुसार प्रत्येक तीर्थंकर की माता; तीर्थंकर के गर्भ में आने के पहले सोलह शुभ स्वप्न देखती हैं। १. सुन्दर चतुर्दातोवाला हाथी; २. सफेद बैल, ३. कांतिवान सिंह, ४. मनोहर लक्ष्मी ५. सुगंधित दो मालायें, ६. पूर्ण चन्द्रमा, ७. देदीप्यमान सूर्य, ८. कमलों से ढके हुए दो सुवर्ण कलश, ९. कमलों से युक्त सरोवर, १०. मीनों (मत्स्य) का जोडा, ११. चंचल समुद्र, १२. सुन्दर सुवर्ण का सिंहासन, १३. स्वर्ग १४. नागेन्द्र का भवन, १५. रत्नों की राशि और १६. निधूर्म
अग्नि। इन सोलह स्वप्नों को शुभ सूचक मान कर गुंफाओं में चित्रित किया गया है। जिससे जैन धर्मत्व एवं संस्कृति प्रकट होती है।
___ अनन्त गुम्फा और अलकापुरी के बरामदे के ब्रेकेट पर चार दाँतो वाला हाथी उत्क्रीर्णित किया गया है। अनन्त गम्फा की बांई ओर के दरवाजे के बगल में उत्कीर्णित सुन्दर हाथी की दो हथिनियाँ सूंढ में कमल लेकर पूजा करती हुई प्रतीत होती हैं। उक्त दृश्य जैन धर्मत्व को प्रकट करने के लिए उत्कीर्णित किया गया है।
इसी प्रकार उदयगिरि की अलकापूरी नामक गुम्फा में विशालकाय चतुर्दन्ती दो हस्तियों के मध्य में उत्कीर्णित किया गया हैं। एक हथिनी चंवर दुला रही है और दूसरी छत्र सूंढ़ में लेकर हाथी के आतप का निवारण कर रही है। इन दृश्यों के द्वारा जैनधर्म की संस्कृति प्रकट होती है।
सुन्दर बैल या वृषभ तथा मनोहर सिंहों के दृश्य अधिकांश गुफाओं में देखने को मिलते हैं, जो जैनधर्मत्व के प्रतीक है। बैल आदिनाथ का चिन्ह हैं और सिंह तीर्थंकर महावीर का है।
___ अनन्त गुम्फा में एक कमल युक्त सरोवर में सुन्दर लक्ष्मी का दृश्य है, जिसका अभिषेक कमल युक्त हाथी कर रहे हैं। यह दृश्य जैनत्व और जैन संस्कृति का प्रतीक हैं। इसी प्रकार मालाओं को भी लिये हुए गन्धर्वो को विशेष कर रानी गुम्फा आदि अनन्त गुम्फाओं में दिखलाया गया है। .
तात्तोवा गुम्फा में सूर्य और चन्द्रमा के आकार अन्दर की पिछली दीवाल पर उत्कीर्णित जैनधर्म संस्कृति को प्रकट किया गया है। इसी प्रकार अनन्त गुम्फा में भी
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