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अधिकांश को नवीनी करण करदिया गया है। बरामदा की छत समतलाकार है। इसके दोनों ओर रैक बने हुए हैं। जी
ऊपरी मंजिल के ब्रेकेटों पर हाथी शेर जैसे जानवर उत्कीर्णित हैं। उन में कुछ पंख वाले और कुछ मनुष्यों तथा पक्षियों के सिर वाले हैं। बरामदे के पहले
और बांयी ओर के प्रवेश द्वार के एक स्तम्भ के ऊपरी भाग पर एक पुरुष को बांयें हाथ में एक युवती दबा कर ले
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युवती को लेकर भागने के लिए उद्यत
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जातेहुए दिखाया गया है। उसके सामने एक बहुत सुन्दर हाथी खडा हुआ है। वह पुरुष उसकी सूंढ को दाहिने (चित्र) हाथ से सहला रहा है। हाथी भी पूंछ गुडयाये हुए बैठने की मुद्रा में है। वह व्यक्ति उसपर वैठकर उस युवती के साथ भागना चाहता है।
उस प्रवेश द्वार के दाहिने स्तम्भ के ब्रेकेट के ऊपर एक सिंह उत्कीर्णित है। जिसके मुख में उसका शिकार दबाहुआ है।
चतुर्दन्ति गजराज की सेवा में रत दो हाथिनियाँ मार दूसरे प्रवेश द्वार के दूसरे स्थम्भ पर अन्दर के दूसरे ब्रेकेट पर दो हाथिनियों से घिरा हुआ बीच में चार दांतों वाला एक सुन्दर हाथी की आकृति चित्रित है। इस हाथी की सूंढ़ में कमाल का फूल है। इस प्रकार का हाथी बहुत कम देखने को मिलता है। ऐसा हाथी इन्द्र का होता है। हाथी के पार्श्वस्थ एक हथिनी की सूंढ़ में चंवर और दूसरी छत्र लिए हुए उस राज हस्ति की सेवा में तत्पर हैं। इसी स्तम्भ के बांयीं ओर विपरीत दिशा में
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