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के बाहर बायीं ओर भाला या लाठी लिए चौकीदार खड़ा उक्त गुंफा की रक्षाकर रहा है। बहिर्मुख ब्रेकेट पर पागुराता हुआ तथा ककुद (पीठ के ऊपर उठा भाग) सहित बैल उत्कीर्णित है।
बरामदा के ओर जाते हुए दाहिनी और बोयीं ओर अपनी सुंढ़ में फूल के गुच्छे लिए हुए (हाथी) उत्कीर्णित दृष्टिगोचर होते है। मानो वे आगन्तुकों का स्वागत कर रहे हैं। अनुमान किया जाता है ई.सन्. दूसरी शताब्दी में इस गुफा का निर्माण हुआ
८.
होगा।
११. जम्बेश्वर गुम्फा
भालुओं का राजा जम्बेश्वर कहलाते है। ई.पू. प्रथम शताब्दी में निर्मित इस गुंफा में दो प्रवेश द्वारों वाली एक कोठी है। दरवाजे सादा है। इसकी छत बहुत नीची और जीर्ण-शीर्ण है। फर्श ऊपर से उठा हुआ ढालुदार है और
खुरदरा है। उसके आगे तीन घनाकार स्तम्भ के सहारे एक छत युक्त बरामदा है। बारामदे के तीनों ओर बेंच है। दोनों ओर एक-एक छोटा रैक भी है। कला विहीन इस गुम्फा के ब्रेकेट भी साधारण है। इस गुंफा में निम्नांकित लघु शिलालेख से ज्ञात होता है कि महामद महामदस बारियाम नाकियास लेणं।
इस गुंफा के उत्तर पश्चिम में ढलान पर सामने खुली एक छोटी गुंफा भी है। १२. बाघ गुंफा
ई.सन्. की प्रथम शताब्दी में निर्मित इस गुफा के सामने का भाग मुँह खोले बाघ के समान होने के कारण इसे बाघ गुंफा के नाम से जाना जाता है। हाथी गुम्फा के पश्चिम में स्थित इस गुफा में एक छोटा प्रकोष्ठ है। इसकी छत नीची है। फर्श ऊपर से उठा हुआ और चिकना है। कमरे का निकास मार्ग बहुत छोटा और नीचा है, उस में झुककर प्रवेश किया जा सकता है। इसके ऊपर बाघ के आकार की चट्टान है। जिस में जबड़ा फैलाये हुए, भयानक दाँत और चंचलता पूर्ण आखों
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