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वृक्ष के नीचे नृत्य करते हुई संगीत पार्टि तीन प्रवेश द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है। इस कमरे के सामने एक बेंच युक्त बरामदा है। इस प्रकोष्ठ की छत उन्नतोदर है। इसका फर्श पीछे से उठा हुआ है। कमरे के पीछे की दीवाल पर गेरूआ रंग से ब्राह्मनी लिपि में ६ पंक्तियों में कुछ शब्द लिखे गये प्रतीत होते हैं। विद्वानों का मत है कि उक्त लिपि खारवेल कालीन नहीं है। कमरे के पीछे की दीवाल पर सूर्य और चन्द्रमा सूचक चिन्ह भी अंकित हैं।
दरवाजों के पल्लों के स्थान परे उनके वगल में घनाकृति खम्भे हैं। जो घट पर आधारित हैं। इन खम्भों के शीर्ष भाग शेरों, वृषभों और हाथियों के जोडों से युक्त हैं। प्रत्येक द्वार मार्ग के पार्श्वस्थ घनाकृति खम्भों से संबंधित तोरणों से आच्छादित हैं। इन तोरणे के शीर्ष भागों पर नन्दिपाद का चिन्ह विद्यमान है। तोरणों के मध्यवर्ती भाग कमल के फूलों की मालाओं, कलियों और माधवी लताओ से भरपूर हैं। पार्श्व भाग में हिरणों, तोतों और पांडुक पक्षियों के जोडे उत्कीर्णित हैं। कमरे की छत ढोलाकार है। बॉयी ओर शेर और दाहिनी ओर हाथी उत्कीर्णित किये गये हैं। सर्पो के फण मध्यवर्ती तोरणों पर उत्कीर्णित हैं। काममा दातमाटामाची
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