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हैं। उनके पास क्षीण शरीर वाले दो पुरुष भी खड़े हैं। अनन्त गुंफा के बरामदे को निम्नांकित प्रकार से सजाया गया है।
(क) इसके अंतिम किनारों पर फूल लियेहुए विद्याधरों कों उड़ते हुए चित्रित किया गया है ।
दाहिनी ओर एक विद्याधर अंकित है जो उड़ता हुआ प्रतीत होता हैं।
बाहर निकलते हुए बडे बडे दाँतों वाले और पत्तों के समान बडे कान वाले भूतों को चित्रित किया गया है। बडे भूत की तस्तरी से दूसरे भूत, माला खींचते हुए दृष्टिगोचर होते है।
ख
(ग)
(घ)
(च)
चौथे ब्रेकेटों पर कमल लिए हुए स्त्रियाँ दृष्टिगोचर होती हैं । उन स्त्रियों में से एक धातु के आभूषण से प्रतीत होनेवाले अनेक मणिबन्ध पहने हुए हैं। पांचवें ब्रेकट पर एक हाथी कमलासन पर खडा दृष्टिगोचर होता है।
गुफा के बाहरी ब्रेकेट पर घुड़ सवार और भूत की आकृतियां विद्यमान है। बरामदा के बायें स्तम्भ और प्रथम स्तम्भ के बीच में एक लघु अभिलेख प्राप्त है :
दोहद समणानं लेनं, अर्थात- दोहद श्रमणों की गुम्फा । इस गुम्फा के बरामदा के बाहरी चट्टान पर एक और दूसरा अभिलेख उत्कीर्णित किया गया है 1 लेकिन घिसजाने के कारण वह पढने योग्य नहीं रहा। यह गुम्फा भारतीय स्थापत्य कला का आदर्श नमूना है।
(छ)
खम्भे के ब्रेकेट (शीर्षभाग) पर भूत स्त्री-पुरुष को ले जाते हुए हाथी की सहायता करते की तरह प्रतीत होता है ।
(ज)
दूसरे शीर्ष भाग पर लीला पूर्वक झुकी हुईं दो कामनियां आकर्सक प्रतीत होती है। जो पत्रों के गुलदस्ते के दोनो ओर डंठलकी पूजा कर रही हैं।
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